यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017

प्यार किये हैं कहते हैं तो मान भी लेते हैं























पर्वत की चोटी पे फतह इतनी भी आसान नहीं
फतह तो ठीक सलामत  आना  इतना भी आसान नहीं

वो  चाहें और हो जाए  वो कोई भगवान नहीं
इंसा भगवन हो जाए ,इतना भी आसान नहीं

हार-जीत तो बाद की बात है असली बात मुकाबले की
लडूं  और मैं हार भी जाऊं इतना भी  आसान नहीं

डींग हाँकना और खूब बढ़ –चढ़ करके  बातें करना
वक्त पड़े पे बात निभाना इतना भी आसान नहीं

बाप चाहते हैं बनना पर मुझे पता है कौन हैं वो
वो कहें और छोड़ दें हम इतना भी आसान नहीं

 प्यार किये हैं कहते हैं तो मान भी लेते हैं
निभा  भी लेंगे ये भी मानूं इतना भी आसान नहीं

आधी रात जवानी की संग मेरे गुजारी है तुमनें
फुर्कत में यूं उम्र कटेगी इतना भी आसान नहीं


सम्पर्क -7718080978


गुरुवार, 13 अप्रैल 2017

खुशियाँ ख़ुशबू सारी दुनियां उनके साथ

















जब थे लाले दिन में फांके उनके साथ

अपने भी तब गैर हो गये उनके साथ

किस्मत ने मुँह मोड़ा था जब उनके साथ
आंसू संग तन्हाई थी तब उनके साथ

अच्छी बातें बोलें भी तो लगे बुरा
जग भर की सारी कमियाँ थी उनके साथ

रात चांदनी दिन सुहाने सबके साथ
खौफ़नाक दिन रात डरावनी उनके साथ

पैदा होने से डरते थे उनके ख़्वाब
सपने भी दूरी रखते थे उनके साथ

जिनको अपना समझा जिनसे उम्मीदें थी
वक़्त पड़ा तब कोई नहीं था उनके साथ

वक़्त ने ली करवट जब आये अच्छे दिन
अन्जानों की भीड़ गई उनके साथ

जो अपने थे गैर हुए थे उनके साथ
आगे पीछे घूम रहे अब उनके साथ

जिसे बताकर कमियाँ उन्हें कोसते थे
उन्हें खूबियाँ बता के मचलें उनके साथ

खुली-खुली आँखों में अब आते हैं ख़्वाब
ख़्वाब भी करते गलबहियाँ अब उनके साथ

सपनों का तो मत पूछो वो मौज़ में हैं
दिन में भी उड़ते रहते हैं उनके साथ

ख़ूबसूरती के पीछे जाने कितने
और ख़ूबसूरती जाना चाहे उनके साथ

सावन शबनम फूल टहल रहे उनके साथ
बदला वक्त तो हर मौसम है उनके साथ

वक्त भला हो तो कदमों में सारा जहाँ
खुशियाँ ख़ुशबू सारी दुनियां उनके साथ

poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क - 7718080978

बुधवार, 12 अप्रैल 2017

जंगलों में भी उन्हें बाज़ार चाहिए




कुछ लोगों को ना घर ना तो परिवार चाहिए 

बर्बाद करें घर  वो  पैरोकार चाहिए

 बढ़ चली कुछ इस कदर व्यापार की हवस
जंगलों में भी उन्हें बाज़ार चाहिए

बनें हैं चिकित्सक बर्बाद होके वो
लोग उन्हें ढेर से बीमार चाहिए

सेवा के लिए तो नहीं चुनाव लड़े हैं
लूट के लिए उन्हें सरकार चाहिए

उनको न धरम से न करम से कोई मतलब
आपस में लादेन ऐसे कुछ गद्दार चाहिए

 उनको जहीन पढ़े-लिखे की नहीं दरकार
उनको निठल्ले और कुछ बेकार चाहिए

उनके भी पाँव पड़ लेंगे पसंद नहीं जो
बस फायदे के "पवन" कुछ आसार चाहिए

poetpawan50@gmail.com

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मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

अपने दिल की चाबियाँ दे दो



तुम्हारे दिल में आना चाहता हूँ 
अपने दिल की चाबियाँ दे दो

प्यार तुमसे हो गया तो क्या करूँ
कुछ नहीं तो अपनी हांमियां दे दो

न दोगी तो भी गिला – शिकवा नहीं
चलो कोई नहीं बस अपनी खांमियाँ दे दो

रूठने में  सुकूँ गर है तुम्हें तो रूठ जाओ
मगर तुम रूठने वाली निशानियाँ दे दो

रहो तुम खुस बस इतना चाहता हूँ
बुरी जितनी हैं सब कहानियाँ दे दो

जो तुमको भाये उसकी हो जाओ
जितनी भी हैं तुम्हारी परेशानियाँ दे दो

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दरवाज़ा खोल देंती हैं आने से पहले

दरवाज़ा खोल देंती हैं आने से पहले
मैं भी चला आता हूँ बुलाने से पहले

रोशनी को मेरा घर पसंद था बहुत
मेरे दिल का दीपक बुझाने से पहले

मेरे घर पे उनका आना जाना बहुत था
मेरी हैसियत को आजमाने से पहले

बड़ी इज्जतें मुझको देती थीं वो भी
मुहब्बत में मुझको गिराने से पहले

बहुत ठोकरें खाकर संभला हूँ मैं अब
आखें भीगी बहुत मुस्कराने से पहले

मेरा हँसता हुआ घर था परिवार था
अपनों ने मेरा घर जलाने से पहले

मैं भी मासूम सीधा सा था आदमी
मेरे महबूब ने दिल जलाने से पहले

आलीशान मकाँ मेरा देखते सभी अब
खूब बेज्जत हुए थे कमाने से पहले

जग से विश्वास उठ सा गया थापवन
आप से प्यार में दिल लगाने से पहले

सम्पर्क - 7718080978
poetpawan50@gmail.com