यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 15 मार्च 2017

उन्होंने की बेवफाई मेरा क्या होगा













उन्होंने की बेवफाई मेरा क्या होगा 
सोंचता हूँ मर जाऊं जीकर क्या होगा

उन्होंने की बेवफाई तो उनका क्या दोष है
जो मेरे सहारे हैं उनका क्या होगा

सोंचता हूँ वो चार जो मुझपे जाँ छिडकते हैं
उस एक बेवफा के लिए न मरुँ तो क्या होगा

मुझे रुसवा करके वो खुस हैं ज़िंदा हैं
मैं भी जियूं, देखूं आगे क्या होगा

वो खुस रहेंगी उनकी खुशियों को देख जी लूंगा
कईयों का मामा हूँ,उनके भी कहेंगे तो क्या होगा

जिन्दगी तूं ही बता इतनी उलझी क्यूँ है तूं
जिन्दगी तूं मेरी जिन्दगी न हुई तो क्या होगा   
पवन तिवारी
सम्पर्क- 7718080978

poetpawan50@gmail.com

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