यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 17 मार्च 2017

उस गली से जब आवाजें आयी,आयेगा क्या

  
एक बार आजमा के तो देख तेरा जाएगा क्या
बातें तो तूं खूब करता है निभाएगा क्या 

समंदर का घमण्ड छू-मंतर हो जायेगा
इतना पूछो प्यास लगी है बुझाएगा क्या

उसके पास पैसा है,ताक़त है तो बराबर वालों से लड़े
वरना लोग थूकेंगे , गरीब को सताएगा क्या

बहुत गुरुर है उसे अपनी ताक़त पर
ज़रा पूछो तो पत्थर से टकराएगा क्या

बुलाया नहीं है मैनें पर आता है तो आ जाए
कुछ मिलेगा नहीं इस बार,खाली हाथ जाएगा क्या

आमदनी चवन्नी,खर्चा करें अठन्नी
इसी तरह चला तो खायेगा क्या

बहुत सर उठा के चलता था,कल झुका के गया

उस गली से जब आवाजें आयी,आयेगा क्या  

पवन तिवारी 
सम्पर्क -7718080978
poetpawan50@gmail.com

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