मगर किस्मत वादे तोड़ देती है बेकार समझकर
कई बार जिसे हम छोड़ देते हैं गैर बेकार समझकर
बुरे हालात में काम आया वही जिसे छोड़ा था बेकार
समझकर
कुछ जमाने में उधार भी मांगते हैं तो अधिकार समझकर
उधार वापस मांगो तो देते हैं खैरात समझ कर
दोस्ती करो,प्यार करो, या व्यापार करो,कुछ भी
करो
मगर जब लब खोलो,बात बढ़ाओ, या सर झुकाओ सोंच
समझकर
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