यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 1 मार्च 2017

हमी से प्यार करते हैं, लौट आयेंगे.











हमें भी पता है वो जायेंगे, जरुर जायेंगे.
बस जहाँ तक छाँव है, वहीं तक जायेंगे.

अभी गुस्से में हैं, कुछ दूर जायेंगे.
हमी से प्यार करते हैं, लौट आयेंगे.

जमाने भर से लड़ सकते हैं,गर अपनें साथ हों.
मगर जब अपनों से अनबन हो तो, कैसे जीत पायेंगे.

गैर कितने भी अजीं हों, वक्त पर छोड़ जायेंगे.
जैसे भी हैं,अपने हैं, वही काम आयेंगे.

पढाओगे, बताओगे, समझाओगे, नहीं मानेंगे.
कुछ शख्स होते ऐसे हैं, ठोकरे खायेंगे, फिर आयेंगे.

आप से मिलेंगे, कहेंगे आप सही थे.
मगर करेंगे अपनी ही,ठोकरें खायेंगे,गिरेंगे,फिर आयेंगे.

अजब से लोग हैं जमानें में,तुम बुलाओगे लाख नहीं आयेंगे.
उनकी फितरत है ‘पवन’ नहीं बुलाओगे तो लौट आयेंगे.

पवन तिवारी

सम्पर्क -7718080978 

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