हमें भी पता है वो जायेंगे, जरुर जायेंगे.
बस जहाँ तक छाँव है, वहीं तक जायेंगे.
अभी गुस्से में हैं, कुछ दूर जायेंगे.
हमी से प्यार करते हैं, लौट आयेंगे.
जमाने भर से लड़ सकते हैं,गर अपनें साथ हों.
मगर जब अपनों से अनबन हो तो, कैसे जीत पायेंगे.
गैर कितने भी अजीं हों, वक्त पर छोड़ जायेंगे.
जैसे भी हैं,अपने हैं, वही काम आयेंगे.
पढाओगे, बताओगे, समझाओगे, नहीं मानेंगे.
कुछ शख्स होते ऐसे हैं, ठोकरे खायेंगे, फिर आयेंगे.
आप से मिलेंगे, कहेंगे आप सही थे.
मगर करेंगे अपनी ही,ठोकरें खायेंगे,गिरेंगे,फिर आयेंगे.
अजब से लोग हैं जमानें में,तुम बुलाओगे लाख नहीं आयेंगे.
उनकी फितरत है ‘पवन’ नहीं बुलाओगे तो लौट आयेंगे.
पवन तिवारी
सम्पर्क -7718080978
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