यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 25 फ़रवरी 2017

सा रे गा मा पा धा नि सा















सा रे गा मा पा धा नि सा
जिन्दगी का क्या भरोसा
जब तलक है प्यार कर ले
सा नि धा पा मा गा रे सा

सा सा रे रे गा गा मा मा
तेरे बिन कुछ हैं ना हम  
पा पा धा धा नि नि सा सा
भाग्य का ये खेल कैसा

सा सा नि नि धा धा पा पा
जिनको चाहें वो ना मिलता
मा मा  गा गा रे रे सा सा
है अजब ये प्यार का किस्सा

सा रे गा, रे गा मा, गा मा पा, 
कुछ भी हो गर प्यार सच्चा
मा पा धा पा धा नि धा नि सा
अंत फिर होता है अच्छा

सम्पर्क-7718080978

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