वो कुछ भी बोलेगा सच मान लिया जाएगा
''अमीर है''दुश्मनी कौन लेने जाएगा
इस सलीके से झूठ बोलेगा
मैं कहूंगा सच ,मगर झूठ माना जाएगा
तर्क ऐसा वो देगा महफिल में
हर शख्स मेरे खिलाफ जाएगा
उसकी जेबों में अशर्फियाँ हैं भरी
उसकी बातों को सुना जाएगा
सबको मालूम है इन्साफ किधर जाएगा
जेब खाली है इधर, उधर जाएगा
मुझको जन्नत की आरजू ही नहीं
मेरा वजूद इसी मिट्टी में मिल जाएगा
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