यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 14 मार्च 2017

चले जाने पे ही क्यों लोग अक्सर याद करते हैं

कि जब तक साथ होते हैं तवज्जो हम नहीं देते
चले जाने पे ही क्यों लोग अक्सर याद करते हैं

कि आखिर मामला क्या है अपनी चीज को तवज्जो नहीं देते
न हो अपने,गैर के पास होने पर क्यों बड़ी ख़ास होती है

जब भी देखा,उन्हें कोसा,बहुत सी बद्दुआयें दी
मगर मरने उनको प्यार से क्यों याद करते हैं

उनके मरने की वो बद्दुवाएं रोज देते थे
दुआ क़ुबूल हुई तो कहते हैं दुःख हुआ सुनकर

इक इंसान में ही अक्सर दो इंसान रहते हैं
तभी तो दिल में होता कुछ जुबाँ से कुछ निकलता है

दिल में मरने की दुआ रखते हैं
प्रणाम करिए तो जीते रहो कहते हैं

पवन तिवारी
सम्पर्क - 7718080978

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