कि जब तक साथ होते हैं तवज्जो हम नहीं देते
चले जाने पे ही क्यों लोग अक्सर याद करते हैं
कि आखिर मामला क्या है अपनी चीज को तवज्जो नहीं देते
न हो अपने,गैर के पास होने पर क्यों बड़ी ख़ास होती है
जब भी देखा,उन्हें कोसा,बहुत सी बद्दुआयें दी
मगर मरने उनको प्यार से क्यों याद करते हैं
उनके मरने की वो बद्दुवाएं रोज देते थे
दुआ क़ुबूल हुई तो कहते हैं दुःख हुआ सुनकर
इक इंसान में ही अक्सर दो इंसान रहते हैं
तभी तो दिल में होता कुछ जुबाँ से कुछ निकलता है
दिल में मरने की दुआ रखते हैं
प्रणाम करिए तो जीते रहो कहते हैं
पवन तिवारी
सम्पर्क - 7718080978
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