दुखों को बाँटने से ही
तुम्हारा दुःख ये कम होगा .
रखोगे बांधकर इसको यही दुःख
जख्म कल होगा .
अगर तुम दोस्त हो मेरे तो
ये दुःख बाँट दो मुझसे .
तुम्हारे होंठो पे बिखरा
हुआ ये दर्द कम होगा .
ज़माना क्या कहता है कहने दो
तुम मत उलझना .
राह बढ़ते चलो तुम तो बुलंदी
पर घर होगा.
तुम्हे जो कोसते हैं कोसने
दो ध्यान मत देना .
सफलता में देखना तुम ये सुर
बदला हुआ होगा .
न सोंचो तुम कि क्या होगा
बढ़ो आगे–बढ़ो आगे
बहुत होगा तो ये होगा
मुकद्दर जो लिखा होगा
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