तीन मुक्तक
जैसा सम्मान खुद के लिए चाहते
दूसरों को भी वैसा दिया तुम करो
देखना फिर कभी जिन्दगी में तुम्हें
मान -सम्मान से कम मिलेगा नहीं
तुमको कहते जो पत्थर व बेजान हैं
उनकी बातों पे तल्खी न खाया करो
मंदिरों में बने देव पत्थर के हैं
सबसे ज्यादा यही सर नवाते वहाँ
कितना भी तुम उड़ो बचना अभिमान से
तुम गिरोगे तो धरती पर ही आओगे
धरती से तुम जो जुड़कर रहोगे सदा
तो कभी जिन्दगी में गिरोगे नहीं
poetpawan50@gmail.com
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