यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 9 जनवरी 2017

जैसा सम्मान खुद के लिए चाहते

तीन मुक्तक 












जैसा सम्मान खुद के लिए चाहते

दूसरों को भी वैसा दिया तुम करो

 देखना फिर कभी जिन्दगी में तुम्हें 

मान -सम्मान से कम मिलेगा नहीं 



तुमको कहते जो पत्थर व बेजान हैं

उनकी बातों पे तल्खी न खाया करो

 मंदिरों में बने देव पत्थर के हैं

 सबसे ज्यादा यही सर नवाते वहाँ



कितना भी तुम उड़ो बचना अभिमान से

 तुम गिरोगे तो धरती पर ही आओगे

 धरती से तुम जो जुड़कर रहोगे सदा

 तो कभी जिन्दगी में गिरोगे नहीं 

poetpawan50@gmail.com

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