मित्रों नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री बनने के बाद काफी
बदल गये हैं. अब वे सिर्फ ''मोदी जी'' रह गये हैं.पहले वाला नरेन्द्र लुप्त हो गया है.उनका
गौरक्षकों के खिलाफ दो दिन में दो बयान आ चुका. प्रधानमंत्री का दो बार बयान आना बड़ी बात है. हाँ कुछ लोग गलत हो सकते हैं पर 80 प्रतिशत..... इससे पहले कई गौरक्षकों की हत्या भी हुई. आप मौन थे. मोदी
जी के सत्ता में आने के बाद केरल और बंगाल में आरएसएस के अनेकों कार्यकर्ताओं व
धार्मिक व्यक्तियों की जघन्य हत्या हुई. आप मौन थे.सिविल सेवा में हिन्दी के मुद्दे पर बड़ा आन्दोलन हुआ, छात्र पिटे भी . छात्रों को आप से बड़ी आशा थी और आप मौन थे.मालदा में दंगे हुए और वहां
पुलिसकर्मियों को पीटा गया तथा थाने में तोड़फोड़ की घटना हुई.आप मौन थे.जेएनयू में भारत तेरे
टुकड़े होंगे करने वालों को कुछ लोग नायक के रूप में देश भर में पेश कर रहे
हैं.और आप मौन रहे, स्वाति सिंह उनकी बेटी, माँ को पेश करो मुद्दे पर आप मौन रहे जबकि दयाशंकर सिंह पर आप ने तुरंत करवाई की.बुलंदशहर की वीभत्स घटना हुई. आप मौन थे. जातिवादी पत्रकारिता टीवी पर छाई हुई है.जातिदेखकर
खबर लिखी जा रही है.आप मौन. चैनलों के मुख्य विषय और बहस का केंद्र आतंकवादी हैं और सेना
खलनायक. आप मौन .कैराना से पलायन की बड़ी घटना हुई. आप इन सभी घटनाओं पर मौन रहे..... ये क्या है मोदी जी... लोगों ने गुजरात वाले नरेंद्र मोदी को वोट दिया
था .... दहाड़ने वाले 56 इंच के सीने वाले मोदी को वोट दिया था. अब आप उदारवादी छवि
बनाना चाहते हैं.... अटल बिहारी वाजपेयी बनना चाहते हैं.... आप को नरेंद्र मोदी होने के कारण 33 वर्ष बाद पूर्ण बहुमत मिला. अटल होने के कारण नहीं. अटल जी महान होते हुए भी पूर्ण बहुमत नहीं प्राप्त कर सके. ये सब क्यों...जब
अवार्ड वापसी प्रायोजित लहर चल रही थी. तब आप के साथ वही लोग थे जिनके दुःख पर आप
मौन थे. जो आज तक आप को कोसते रहे, आप के इस बयान से उन्हें खुस किया. पर वे भी नागनाथ
हैं, गिरगिट हैं, इस तरह से आप महान नेता नहीं बन पायेंगे. बनावटी चरित्र ज्यादा
समय तक नहीं टिकता. मैंने आप को वोट दिया. बेरोजगार हो गया हूँ. सब कहते हैं जब से
बीजेपी आयी है मंदी आ गई है. मैंने 101 रूपये का चंदा भी दिया था. वे पैसे बिजली के
बिल के लिए रखा था. आनलाइन सदस्यता भी ग्रहण की थी. मैं लेखन के क्षेत्र में उभरता हुआ लेखक हूँ. आप के पक्ष में खड़ा होने के कारण अछूत बना दिया. मैंने आप को लम्बा पत्र भी लिखा था. आप के उप सचिव ने जवाब भेजा .... आप का पत्र मिला.... बस खैर साहित्य में वामपथियों को वर्चस्व है. उन्होंने मुझे दक्षिणपंथी व पुरातनपंथी भाजपाई
कहकर लेखक समाज से बाहर करने का पूरा प्रयास किया.आज भी बेरोजगार हूँ. विश्व हिन्दू
परिषद् के मुंबई से प्रकाशित पत्र में मैंने ही सर्वप्रथम लिखा था कि ‘मोदी को देश
का प्रधानमंत्री क्यों होना चाहिए’? बीजेपी मुंबई के एक स्थानीय नेता ने आप पर
विशेषांक निकाला था. उसका अतिथि सम्पादक मैं था. आज मुझे दुःख होता है कि मैंने
मोदी का साथ क्यों दिया. जिस कारण से दिया वो तो पूरा ही नहीं हुआ. आप के सांसद और
मेरे भी सांसद शरद त्रिपाठी के संसदीय क्षेत्र के तहसील धनघटा के गराँगरवीर में एक दलित के इकलौते 6 वर्षीय
बेटे की हत्या हो गयी थी. मैंने ट्विटर पर विशेष सन्देश आप को, सुषमा जी को, शरद
जी, वरुण गांधी जी को किया था,पर कोई जवाब नहीं आया. क्या आप की यही सम्वेदनशीलता
है.वो दलित, दलित नहीं था. आप कहाँ और कब बोलेंगे या कदम उठाएंगे जहाँ आप को राजनीतिक फायदा
मिले. आप ने कई अच्छे कार्य भी शुरू किये है.पर उल्टे तरीके से..... आप ने ऊपर से
काम शरू किया. जबकि नीचे से करना चाहिए था.जिससे तुरंत सबसे पहले आम आदमी को फायदा
हो. मैंने आनलाइन भाजपा की सदस्यता ली थी. इसलिए आनलाइन ही सदस्यता त्यागने की
घोषणा करता हूँ. आप के इस बनावटी चाल – चलन का फैसला उत्तर प्रदेश का चुनाव करेगा. आप अटल जी बनने की कोशिश न करें अन्यथा न अटल बिहारी वाजपेयी बन पाएंगे न नरेंद्र मोदी ही रह जायेंगे.
यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी
सोमवार, 8 अगस्त 2016
अटल जी बनने की कोशिश मत करिए मोदी जी फेल हो जायेंगे
12 वर्ष की उम्र से कविता , कहानी आदि का लेखन, विद्यालयीन प्रतियोगिताओं में भाषण गायन, अन्ताक्षरी, एकांकी आदि में प्रथम .
लेखक ,पत्रकार, वक्ता, शोध कर्ता, कई पत्र ,पत्रिकाओं का सम्पादन, फिल्म लेखन, कई पुस्तकों का सम्पादन, आकाशवाणी पर महापंडित राहुल सांकृत्यायन पर विशेष वक्तव्य, देश के सबसे बड़े भजन संकलन भजन गंगा का अतिथि सम्पादन, इंडियन प्रेस कौन्सिल की पहली स्मारिका का सम्पादन आदि
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