कविता नहीं पढ़ते लोग
कविता नहीं पढ़ते लोग
क्योंकि कविता पढ़ना मनुष्य बनने की प्रक्रिया है.
कविता में होता है जीवन , सम्वेदना , दया ,
मनुष्यता का गाढ़ा इतिहास , एक जीवंत चेतना
जीवन की एक पूरी प्रकृति , क्षमा और प्रेम
कविता नहीं पढ़ते लोग
क्योंकि कविता पढ़ते – पढ़ते मनुष्य बनने का डर होता है .
कविता गढ़ों, आडम्बरों ,पूर्वाग्रहों ,पाषाणों को ध्वस्त कर
पनपाती है कोमल जीवन की सम्भावना , बताती है जीवन के मायने ,
कविता में होता है जीवन का भूगोल और विज्ञान
कविता नहीं पढ़ते लोग
क्योंकि बड़ी मुश्किल से प्रकृति के विनाश पर , पाषणों के नगर के नगर बने हैं
बड़ी मुश्किल से मनुष्य जानवर बना है , स्वतंत्र से स्वच्छंद बना है ,
सम्वेदना से पाषाण बना है , प्यार से छूटकर बाज़ार बना है .
उसको और आगे बढ़ना है. उसे रोबोट बनना है.
कविता नहीं पढ़ते लोग
क्योंकि कविता पढ़ने से मनुष्य बनने की सम्भावना हमेशा बनी रहती है .
कविता रोबोट बनने के सपने को तोड़ सकती है .
पीछे जाने और फिर से मनुष्य बनने का ख़तरा उठाने से डरते हैं.
कविता नहीं पढ़ते लोग
poetpawan@gmail.com
कविता में संवेदना है ,
जवाब देंहटाएंपर कविता पढ़ने के लिए भाषा समझना जरूरी है।
हो कर अब मजबूर
लोग अपनी भाषा से ही जा रहे हैं दूर ।
भाषा जे रही है व्यवहार से,
व्यापार से, हमारे जीवन संसार से।
यह प्रमुख वेदना है।
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जवाब देंहटाएंकविता में संवेदना है ,
जवाब देंहटाएंपर कविता पढ़ने के लिए भाषा समझना जरूरी है।
हो कर अब मजबूर
लोग अपनी भाषा से ही जा रहे हैं दूर ।
भाषा जा रही है व्यवहार से,
व्यापार से, हमारे जीवन संसार से।
यह प्रमुख वेदना है।