आज कर्पूरी ठाकुर की 91 वीं जयंती के अवसर पर जो मुलायम सिंह जी ने कहा वह एक भारतीय के रूप में असहज कर गया . क्या कोई वरिष्ठ नेता इतनी ऊंचाई से एक झटके में जानबूझकर सिर्फ वोटों के लिए इतना नीचे गिर सकता है .वैसे मुलायम जी का यूँ गिरने का इतिहास रहा है पर उम्र के इस पड़ाव पर आकर लाशों की वैसाखी पर खड़ा होने की चाहत खतरनाक है.
2 नवम्बर 1990 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के आदेश पर पुलिस ने बेगुनाह हिन्दुओं पर गोलियां बरसाई थी. सरकार के अनुसार 16 मामूली जाने गयी और जाती तो भी कोई बात नहीं . हालांकि यह विवादित है. भाजपा का अनुमान है कि 168 मारे गए थे. विहिप के अनुसार अकेले विहिप ने 76 शरीर का अंतिम संस्कार किया. खैर अचानक 25 वर्ष बाद मुलायम को वे 16 लाशें क्यों याद आयी. क्योंकि उन्हें २०१७ के चुनाओं में अपनी राजनीतिक इमारत जर्जर सी लग रही है उसके ढहने का डर सताने लगा है सो उन्हें सहारे के रूप में वे 16 लाशें याद आयी .जिनके सहारे वे २०१७ में अपनी जर्जर राजनीति को बचा सकें . ये घृणित सच है कि सपा का आज तक जो अस्तित्व है वो उन 16 लाशों के कारण ही है . उन्होंने मुस्लिम वोटों के बिखरने के डर [ कहीं मायावती के पास कुछ छिटककर न चले जाय] से दाव फिर खेला . उन्होंने खुद ही कहा कि इसीलिए मुस्लिमों में उनके प्रति भरोसा जगा और पार्टी आज यहाँ तक पहुँची . उन्होंने ये भी कहा कि धर्मस्थल को बचाने के लिए और भी जाने जाती तो वे पीछे नहीं हटते. ये बयान मुस्लिमों को आश्वस्त करने के लिए था . हाँ उन्होंने उन मौतों पर औपचारिक रूप से दुःख जताया जो सिर्फ राजनीतिक दिखावा था .वे चाहते तो उसके लिए हाथ जोड़कर माफी मांग सकते थे और अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती भी बता सकते थे .पर ऐसे में मुस्लिम भाइयों के इतने बड़े वोट बैंक को हथियाते कैसे . मुझे जलियांवालावाला बाग़ याद आ रहा है .जहाँ 13 अप्रैल1919 को ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने गोलियां चला के निहत्थे, लोगों को मार डाला था और हज़ारों लोगों को घायल कर दिया था। यदि किसी एक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था तो वह घटना यह जघन्य हत्याकाण्ड ही था। कहीं ये वही जनरल डायर तो नही है खैर आगे चलकर इस घटना के प्रतिघात स्वरूप सरदार उधमसिंह ने 13 मार्च 1940 को उन्होंने लंदन के कैक्सटन हॉल में इस घटना के समय ब्रिटिश लेफ़्टिनेण्ट गवर्नर मायकल ओ ड्वायर को गोली चला के मार डाला।
मुझे १९८५ की वो फिल्म भी याद आ रही है जिसमें अनिलकपूर अमरीश पुरी को ललकारते हुए भरी सभा में कहते हैं - देख लीजिये 75 लाशों पर खड़ा ये ठराकल कितना ऊँचा दिखाई दे रहा है ...आप कह सकते हैं 16 लाशों पर खड़ा ये .............................. हर एक आदमी के साथ कई लोग होते हैं वह अकेला नहीं मरता, उसके साथ दम तोड़ता है उसकी बीबी का सुहाग ,उसके बच्चो का भविष्य ,उसके घर में बसने वाली एक एक खुसी ,उसके आंगन में उतरनेवाली एक -एक खुसी , सबकी एक साथ मौत हो जाती है . कुछ समझ में आया ....... जल्दी भूलने की आदत है भारतीयों को ....
इस पुराने लेख में एक नया अंश आज जोड़ रहा हूँ...... जरूरी भी है....
मुलायम सिंह ने कल अर्थात 27 अगस्त 2016 को खुद पर लिखी पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोलते हुए कहा कि कारसेवकों पर गोली चलवाना आवश्यक था. नहीं तो मुस्लिमों का हिन्दुस्तान पर से भरोसा उठ जाता... इसके लिए 16 की जगह 30 जानें जाती तो भी मुझे अफ़सोस नहीं होता. ऐसा ही बयान मुलायम ने आज से लगभग 7 महीने पहले कर्पूरी ठाकुर की जयन्ती पर 24 जनवरी 2016 को दिया था. फिर अचानक 7 माह बाद इस बयान की क्या जरूरत पड़ गयी. इस घटना को गुजरे 25 साल बीत गये , इससे पहले ये बयान क्यों नहीं आया . जो 16 कारसेवक मरे मुलायम के इस बयान से उनके परिवार पर क्या गुजरेगी . ये एकदम तलछट की राजनीति है . सम्वेदनहीन और मौकापरस्त बयान. आगामी चुनावों में मुस्लिम वोट सपा से छाटकें न ,उसके लिए ये बयान है. कांग्रेस नई रणनीति के साथ चुनाव में आ रही है. इसलिए मुलायम को डर है कि कहीं कुछ वोट छिटक न जाएँ. 18% मुस्लिम वोट के लिए मुलायम ने सारी नैतिकता ताक पर रख दी.18% तो सिर्फ सवर्ण हैं उत्तर प्रदेश में . ऐसे में जनता का दायित्व बनता है कि ऐसे लोगो को राजनीति से बाहर का रास्ता दिखाए .
पुनः मैं मेरीजंग फिल्म का वो संवाद को याद करता हूँ ......
याद करिए ''मेरी जंग का वो सम्वाद जिसमें अनिल कपूर अमरीश पुरी को ललकारते हुए भरी सभा में कहते हैं - देख लीजिये 75 लाशों पर खड़ा ये ठराकल कितना ऊँचा दिखाई दे रहा है ...आप कह सकते हैं देख लीजिये 16 लाशों पर खड़ा ये मुलायम सिंह कितना ऊँचा दिखाई दे रहा है ............................. हर एक आदमी के साथ कई लोग होते हैं वह अकेला नहीं मरता, उसके साथ दम तोड़ता है उसकी बीबी का सुहाग ,उसके बच्चो का भविष्य ,उसके घर में बसने वाली एक एक खुसी ,उसके आंगन में उतरनेवाली एक -एक खुसी , सबकी एक साथ मौत हो जाती है . कुछ समझ में आया .......
2 नवम्बर 1990 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के आदेश पर पुलिस ने बेगुनाह हिन्दुओं पर गोलियां बरसाई थी. सरकार के अनुसार 16 मामूली जाने गयी और जाती तो भी कोई बात नहीं . हालांकि यह विवादित है. भाजपा का अनुमान है कि 168 मारे गए थे. विहिप के अनुसार अकेले विहिप ने 76 शरीर का अंतिम संस्कार किया. खैर अचानक 25 वर्ष बाद मुलायम को वे 16 लाशें क्यों याद आयी. क्योंकि उन्हें २०१७ के चुनाओं में अपनी राजनीतिक इमारत जर्जर सी लग रही है उसके ढहने का डर सताने लगा है सो उन्हें सहारे के रूप में वे 16 लाशें याद आयी .जिनके सहारे वे २०१७ में अपनी जर्जर राजनीति को बचा सकें . ये घृणित सच है कि सपा का आज तक जो अस्तित्व है वो उन 16 लाशों के कारण ही है . उन्होंने मुस्लिम वोटों के बिखरने के डर [ कहीं मायावती के पास कुछ छिटककर न चले जाय] से दाव फिर खेला . उन्होंने खुद ही कहा कि इसीलिए मुस्लिमों में उनके प्रति भरोसा जगा और पार्टी आज यहाँ तक पहुँची . उन्होंने ये भी कहा कि धर्मस्थल को बचाने के लिए और भी जाने जाती तो वे पीछे नहीं हटते. ये बयान मुस्लिमों को आश्वस्त करने के लिए था . हाँ उन्होंने उन मौतों पर औपचारिक रूप से दुःख जताया जो सिर्फ राजनीतिक दिखावा था .वे चाहते तो उसके लिए हाथ जोड़कर माफी मांग सकते थे और अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती भी बता सकते थे .पर ऐसे में मुस्लिम भाइयों के इतने बड़े वोट बैंक को हथियाते कैसे . मुझे जलियांवालावाला बाग़ याद आ रहा है .जहाँ 13 अप्रैल1919 को ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने गोलियां चला के निहत्थे, लोगों को मार डाला था और हज़ारों लोगों को घायल कर दिया था। यदि किसी एक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था तो वह घटना यह जघन्य हत्याकाण्ड ही था। कहीं ये वही जनरल डायर तो नही है खैर आगे चलकर इस घटना के प्रतिघात स्वरूप सरदार उधमसिंह ने 13 मार्च 1940 को उन्होंने लंदन के कैक्सटन हॉल में इस घटना के समय ब्रिटिश लेफ़्टिनेण्ट गवर्नर मायकल ओ ड्वायर को गोली चला के मार डाला।
मुझे १९८५ की वो फिल्म भी याद आ रही है जिसमें अनिलकपूर अमरीश पुरी को ललकारते हुए भरी सभा में कहते हैं - देख लीजिये 75 लाशों पर खड़ा ये ठराकल कितना ऊँचा दिखाई दे रहा है ...आप कह सकते हैं 16 लाशों पर खड़ा ये .............................. हर एक आदमी के साथ कई लोग होते हैं वह अकेला नहीं मरता, उसके साथ दम तोड़ता है उसकी बीबी का सुहाग ,उसके बच्चो का भविष्य ,उसके घर में बसने वाली एक एक खुसी ,उसके आंगन में उतरनेवाली एक -एक खुसी , सबकी एक साथ मौत हो जाती है . कुछ समझ में आया ....... जल्दी भूलने की आदत है भारतीयों को ....
इस पुराने लेख में एक नया अंश आज जोड़ रहा हूँ...... जरूरी भी है....
मुलायम सिंह ने कल अर्थात 27 अगस्त 2016 को खुद पर लिखी पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोलते हुए कहा कि कारसेवकों पर गोली चलवाना आवश्यक था. नहीं तो मुस्लिमों का हिन्दुस्तान पर से भरोसा उठ जाता... इसके लिए 16 की जगह 30 जानें जाती तो भी मुझे अफ़सोस नहीं होता. ऐसा ही बयान मुलायम ने आज से लगभग 7 महीने पहले कर्पूरी ठाकुर की जयन्ती पर 24 जनवरी 2016 को दिया था. फिर अचानक 7 माह बाद इस बयान की क्या जरूरत पड़ गयी. इस घटना को गुजरे 25 साल बीत गये , इससे पहले ये बयान क्यों नहीं आया . जो 16 कारसेवक मरे मुलायम के इस बयान से उनके परिवार पर क्या गुजरेगी . ये एकदम तलछट की राजनीति है . सम्वेदनहीन और मौकापरस्त बयान. आगामी चुनावों में मुस्लिम वोट सपा से छाटकें न ,उसके लिए ये बयान है. कांग्रेस नई रणनीति के साथ चुनाव में आ रही है. इसलिए मुलायम को डर है कि कहीं कुछ वोट छिटक न जाएँ. 18% मुस्लिम वोट के लिए मुलायम ने सारी नैतिकता ताक पर रख दी.18% तो सिर्फ सवर्ण हैं उत्तर प्रदेश में . ऐसे में जनता का दायित्व बनता है कि ऐसे लोगो को राजनीति से बाहर का रास्ता दिखाए .
पुनः मैं मेरीजंग फिल्म का वो संवाद को याद करता हूँ ......
याद करिए ''मेरी जंग का वो सम्वाद जिसमें अनिल कपूर अमरीश पुरी को ललकारते हुए भरी सभा में कहते हैं - देख लीजिये 75 लाशों पर खड़ा ये ठराकल कितना ऊँचा दिखाई दे रहा है ...आप कह सकते हैं देख लीजिये 16 लाशों पर खड़ा ये मुलायम सिंह कितना ऊँचा दिखाई दे रहा है ............................. हर एक आदमी के साथ कई लोग होते हैं वह अकेला नहीं मरता, उसके साथ दम तोड़ता है उसकी बीबी का सुहाग ,उसके बच्चो का भविष्य ,उसके घर में बसने वाली एक एक खुसी ,उसके आंगन में उतरनेवाली एक -एक खुसी , सबकी एक साथ मौत हो जाती है . कुछ समझ में आया .......
Satik....
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