मेरे
कथा संग्रह ''चवन्नी का मेला'' की कहानी ''तेरे को मेरे को'' पर आधारित हिन्दी फीचर फिल्म ''गोल्डन राइज ऑफ़ स्लम ज्वेल्स '' का मुहूर्त वीरा देसाई मार्ग गीत स्टूडियो में एक प्रार्थना गीत की रिकार्डिंग के साथ अंधेरी [प.] में संपन्न हुआ .फिल्म के निर्देशक अनवर हुसैन के अनुसार यह फिल्म एक ऐसी फिल्म है जो गरीब ,वंचित , शोषित और संघर्षरत 15 से 18 के किशोर उम्र के बच्चों की कहानी हैं , हिन्दी सिनेमा में पहली बार किशोर बच्चों पर केन्द्रित एक पूर्ण फिल्म बन रही है . इससे पहले या तो युवाओं या छोटे बच्चों पर फ़िल्में बनती रही हैं हिन्दी फिल्मों में 14 से 17 की उम्र के किशोरों पर केन्द्रित फिल्मे न के बराबर बनीं हैं . ये फिल्म दिन भर छोटे -मोटे काम करके और फिर शाम को नाईट स्कूलों में पढ़ने वाले ,सपने देखने वाले , वक्त से दो- चार हाथ करने की इच्छा रखने वाले किशोर छात्रों की मनोरंजन और प्रेरणा से पूर्ण कहानी है . अनवर जी के अनुसार कहानी के विषय ने मुझे फिल्म बनाने के लिए मजबूर कर दिया .सैयद अनवर हुसैन गत 25 वर्षों से फिल्म निर्देशन से जुड़े हुए हैं .इन्होने आर के नैय्यर और फिरोज खान जैसे बड़ेनिर्देशकों के साथ काम किया . इस फिल्म का निर्माण रेयर इमैजिनेशन और एक्स्प्रेसंस एंड डायलाग के बैनर तले हो रहा है सह निर्माता हैं श्याम पुरोहित जी एसोसियेट प्रोड्यूसर हैं ब्लू एप्पल इंटरटेनमेंट, निर्देशक एवं गीतकार हैं सैयद अनवर हुसैन ,संगीतकार हैं रिकी , स्क्रिप्ट [ कथा पटकथा संवाद ] पवन तिवारी की है कैमरामैन हैं नीलाभ कौल ,कला निर्देशक हैं नेशनल एवार्ड विजेता सी वी मोरे जी ,एक्शन मास्टर हैं राजू वर्मा ,संपादक हैं पी . श्रीवास्तव
कथा संग्रह ''चवन्नी का मेला'' की कहानी ''तेरे को मेरे को'' पर आधारित हिन्दी फीचर फिल्म ''गोल्डन राइज ऑफ़ स्लम ज्वेल्स '' का मुहूर्त वीरा देसाई मार्ग गीत स्टूडियो में एक प्रार्थना गीत की रिकार्डिंग के साथ अंधेरी [प.] में संपन्न हुआ .फिल्म के निर्देशक अनवर हुसैन के अनुसार यह फिल्म एक ऐसी फिल्म है जो गरीब ,वंचित , शोषित और संघर्षरत 15 से 18 के किशोर उम्र के बच्चों की कहानी हैं , हिन्दी सिनेमा में पहली बार किशोर बच्चों पर केन्द्रित एक पूर्ण फिल्म बन रही है . इससे पहले या तो युवाओं या छोटे बच्चों पर फ़िल्में बनती रही हैं हिन्दी फिल्मों में 14 से 17 की उम्र के किशोरों पर केन्द्रित फिल्मे न के बराबर बनीं हैं . ये फिल्म दिन भर छोटे -मोटे काम करके और फिर शाम को नाईट स्कूलों में पढ़ने वाले ,सपने देखने वाले , वक्त से दो- चार हाथ करने की इच्छा रखने वाले किशोर छात्रों की मनोरंजन और प्रेरणा से पूर्ण कहानी है . अनवर जी के अनुसार कहानी के विषय ने मुझे फिल्म बनाने के लिए मजबूर कर दिया .सैयद अनवर हुसैन गत 25 वर्षों से फिल्म निर्देशन से जुड़े हुए हैं .इन्होने आर के नैय्यर और फिरोज खान जैसे बड़ेनिर्देशकों के साथ काम किया . इस फिल्म का निर्माण रेयर इमैजिनेशन और एक्स्प्रेसंस एंड डायलाग के बैनर तले हो रहा है सह निर्माता हैं श्याम पुरोहित जी एसोसियेट प्रोड्यूसर हैं ब्लू एप्पल इंटरटेनमेंट, निर्देशक एवं गीतकार हैं सैयद अनवर हुसैन ,संगीतकार हैं रिकी , स्क्रिप्ट [ कथा पटकथा संवाद ] पवन तिवारी की है कैमरामैन हैं नीलाभ कौल ,कला निर्देशक हैं नेशनल एवार्ड विजेता सी वी मोरे जी ,एक्शन मास्टर हैं राजू वर्मा ,संपादक हैं पी . श्रीवास्तव
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