किसको
पड़ी है इश्क में गिनती हिसाब की
इश्क
की भी हैसियत
होती नवाब की
वो एक झूठ बोल
के सच बोलता रहा
उस एक झूठ ने ही कहानी ख़राब की
मेरी
नहीं खता है मैंने तो फक़त पी
जो
कुछ भी गलतियाँ हैं सारी शराब की
कुछ
लोग तो दीवारों दर को भी दें गालियाँ
उसके
लिए भी ख्वाहिशे आला खिताब की
हमरी
ही खिलाफ़त करें हमसे उधार भी
उसपे
भी अदा देखिये
उनके जवाब की
यदि
बात करूँ सच में मुकम्मल किताब की
इक
शक्ल उभरती है पवन सी जनाब की
पवन
तिवारी
२६/०७/२०२१
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