यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 1 जून 2022

किसको पड़ी है इश्क में

किसको पड़ी है इश्क में गिनती हिसाब की

इश्क  की  भी  हैसियत  होती  नवाब  की 

 

वो  एक  झूठ बोल  के  सच  बोलता रहा

उस  एक  झूठ  ने  ही  कहानी ख़राब की

 

मेरी  नहीं  खता  है  मैंने  तो  फक़त  पी

जो कुछ भी गलतियाँ हैं सारी शराब की

 

कुछ लोग तो दीवारों दर को भी दें गालियाँ

उसके लिए भी ख्वाहिशे आला खिताब की

 

हमरी ही खिलाफ़त करें हमसे उधार भी

उसपे  भी  अदा  देखिये उनके जवाब की

 

यदि बात करूँ सच में मुकम्मल किताब की

इक शक्ल  उभरती  है पवन सी जनाब की

 

पवन तिवारी

२६/०७/२०२१  

 

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