यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 6 जून 2022

मेरी अपनी कहानी

मेरी अपनी कहानी खो गयी है

मैं औरों की कहानी पढ़ रहा हूँ

अभी कुछ दिन ही पहले मैं ढहा हूँ

मैं खुद को थोड़ा-थोड़ा गढ़ रहा हूँ

 

झूठ में इतनी शक्ति भान ना था

सो अब बचते बचाते चल रहा हूँ

वो तूफानों का साथी है तो वो जाने

मैं हूँ दीपक सो मध्यम जल रहा हूँ 

 

वो आलीशान जीता है तो अच्छा है

समय के साथ मैं भी पल रहा हूँ

ज़िंदा होना मेरा दे दर्द उनको

गज़ब है उनको इतना खल रहा हूँ

 

तो निश्चित है कि कोई बात होगी

कि आँखों में मैं सबके आ रहा हूँ

मुझे रचना है कुछ इतिहास शायद

तवज्जो  इस क़दर मैं पा रहा हूँ

 

 

जो पहले है तय होगा वही अब

और गति को बढ़ाता जा रहा हूँ

तुम्हें डर रौशनी से है समझ आया मेरे

लो मैं सूरज सुबह का ला रहा हूँ

 

पवन तिवारी

२९/०७२०२१     

 

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