सबकी अपनी पीड़ाएं हैं
सबके अपने कारण हैं
सबकी अपनी राज रियासत
सबके अपने चारण हैं
दुख के भी हैं रंग अनोखे
कुछ जो देखन में हैं चोखे
पर पथ उनके एक से लगते
ज्यादातर के कारण धोखे
बिन पीड़ा के लगे अधूरे
केवल सुख से भी ना पूरे
जिनको केवल दुख ही दुख है
उनसे भी सब दूरे - दूरे
राज रोग की पदवी दुख को
और पुछल्ले मिले हैं सुख को
मरना जीना दुख हो या सुख
स्वाद चाहिए केवल मुख को
झूल रहे सब तुम भी झूलो
दुख सुख में ही दुनिया छूलो
मुरझाना तो सबको एक दिन
जब तक हो फूलों से फूलो
पवन तिवारी
२९/०३/२०२१
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