यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 3 अप्रैल 2022

हत्या से बड़ा शब्द है जीवन

वह मेरी हत्या करना चाहता था

मगर युक्ति से

ताकि मुक्त रह सके

बाहरी दुनिया के आरोपों से

वह मेरी प्रतिभा, कौशल,साहस

और धैर्य पर चला रहा था

छोटे- छोटे हथौड़े

चुभाता था बारीक सुइयाँ

उसे पूरी उम्मीद थी

मैं स्वयं की कर दूँगा

स्वयं हत्या !

किन्तु उसकी आशा के विपरीत

मैं और, और ज्यादा

मज़बूत हो रहा था ;

वह झुँझला गया था

उसकी झुँझलाहटें वास्तव में

मुझे ज़िंदा देखने वालों की

आशीष व मंगलकामनाएं  थीं .

हजारों उम्मीदें मेरे साथ थीं

बस ! उसकी एक उम्मीद के विरुद्ध

मुझे लगता है

बस, इसीलिये ईश्वर ने

मेरे ज़िंदा रहने के पक्ष में

सुनाया है निर्णय ! ताकि

उन हजारों उम्मीदों  को

दे सकूँ शब्द!

हत्या से बड़ा शब्द है जीवन !

 

 

पवन तिवारी

१६/०२/२०२१

वसंत पंचमी

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