छोटी
– छोटी बातों से भी रिश्ते बड़े बिगड़ते
हैं
छोटी
– छोटी बातों से
भी रिश्ते बड़े उभरते हैं
बात
न छोटी काम
न छोटा सोच पे सारा निर्भर है
छोटे
– छोटे क़दमों से भी बिखरे लोग संवरते हैं
जितना
उत्तम रहे आचरण उतना बड़ा व्यक्ति बनता है
धन
तो दुराचारियों को भी जान रही सब कुछ जनता है
धनी
व्यक्ति को बड़ा बताना सबसे प्रचलित
मिथ्या है
जो
ऐसों की जय जय करते उन्हीं से इक दिन ठनता है
सारे
मानदंड बदले हैं किन्तु
सत्य वैसे ठहरा है
सत्य
अकेला पड़ा हुआ है झूठ के साथ बड़ा पहरा है
सत्य
पे हैं आक्षेप बहुत पर सिद्ध नहीं कोई हो पाते
सत्य
को पाना जरा कठिन है सत्य को स्रोत बड़ा गहरा है
करने
के लिए तुम्हें पराजित विश्वमित्र सेना आयेगी
तुम
वशिष्ठ सा सत्य पे रहना होक पराजित वह जायेगी
संकट
जैसे घिरेंगे बादल किन्तु समय पर छँट जायेगे
सदाचरण
पर दृढ़ रहना तुम तुम्हरी कीर्ति सृष्टि गायेगी
पवन
तिवारी
११/०४/२०२१
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