प्यार
के नाम पे ही मैंने सारा काम
किया
और
फिर खुद को भी मैंने उसके नाम किया
मैंने
कुछ भी नहीं था ज़िन्दगी के नाम किया
उसी
के नाम
सारी ज़िन्दगी तमाम
किया
मेरे
कुर्ते की जगह
कोट जो देखे हो मियाँ
उसी के प्यार
में ये सारा तामझाम किया
खुमार
ऐसा चढ़ा इश्क का कि
उसके घर
दरख्त
ही नहीं शाखों को भी सलाम किया
गली
या खिड़की से मैं जब भी देख लेता था
ऐसा
लगता था जैसे मैंने चारो धाम किया
देखा
पहली ही नज़र और
उससे इश्क हुआ
फिर
तो उसके ही साथ ज़िन्दगी की शाम किया
पवन
तिवारी
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