यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 23 अप्रैल 2022

प्यार के नाम पे

प्यार के नाम पे ही  मैंने  सारा  काम किया

और फिर खुद को भी मैंने उसके नाम किया

 

मैंने कुछ भी नहीं था  ज़िन्दगी के नाम किया

उसी के  नाम  सारी  ज़िन्दगी  तमाम  किया

 

मेरे कुर्ते  की  जगह  कोट  जो  देखे हो मियाँ

उसी  के प्यार  में ये  सारा तामझाम  किया   

 

खुमार ऐसा चढ़ा  इश्क  का  कि उसके घर

दरख्त ही नहीं शाखों को भी सलाम किया

 

गली या खिड़की से मैं जब भी देख लेता था

ऐसा लगता था  जैसे मैंने चारो धाम किया

 

देखा पहली ही  नज़र  और  उससे  इश्क  हुआ

फिर तो उसके ही साथ ज़िन्दगी की शाम किया

 

पवन तिवारी

 ०७/०४/२०२१

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