समय
का खेल ऐसा बुलबुला पानी सा होता है
जो
अपनी ज़िन्दगी में प्रेम की बानी सा होता है
कि
जिसके बिन ज़िन्दगी की लगे तस्वीर आधी सी
एक
छल से फ़कत जीवन में बेमानी सा होता है
समय
सुख ले भी सकता है समय दुःख दे भी सकता है
समय संकट
में जंगल में
मसीहा दे भी सकता
है
समय जलते
दीयों को एक
झोंके से बुझा देता
समय मरुथल
वीराने में जलाशय
दे भी सकता है
समय
में अपनों को दुश्मन बनाने की भी क्षमता है
समय
इकलौता है
जो ना किसी के रोके रुकता है
सभी द्म्भों
घमंडों को समय
है नष्ट कर
देता
समय के
सामने क्या आदमी
देवत्व झुकता है
पवन
तिवारी
२९/०१/२०२१
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