यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 13 फ़रवरी 2022

गाता हुआ मस्ती में

गाता हुआ  मस्ती  में  एक राहगीर है

ज़रा ध्यान से देखो वो देसी फकीर है

 

जो माँ-बहन का सामने सहता रहा अपमान

कैसे कहूँ कि उसका भी ज़िंदा ज़मीर है

 

पैसे के लिए कर लिया  सौदा  जमीर का

और आप कह रहे कि उसने मारा तीर है

 

सब कुछ तुम्हारे पास है पर खा नहीं सकते

इससे भी बढ़ कर ज़िन्दगी कोई पीर है

 

माना कि वो गरीब है धन के हिसाब से

खुशियों के मामले में वो बेहद अमीर है

 

पवन तिवारी

०७/०१/२०२१

 


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