रंग
भरे तेरे नैना, रस से भरे तेरे बैना
छवि
तेरी नाच रही है, कटती है नहीं रैना
कैसी
लगन लगी है, उर में अगन लगी
है
मिलन
की चाहत मुझको, जैसे ठगन लगी है
स्नेह
भरी मुलाकातें, प्रेम पगी वो बातें
उमड़-घुमड़
वो आतीं, यादों की बारातें
प्रेमी
पागल होते,
प्रेम में आपा खोते
प्रेम
हुआ तो जाना, छुप-छुप के क्यों रोते
बिरह
बड़ा दुखदाई, सब लागें हरजाई
मन
झुंझलाकर बोले, हाय क्यों प्रीत लगाई
पवन
तिवारी
०६/०१/२०२१
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