यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 13 फ़रवरी 2022

रंग भरे तेरे नैना

रंग  भरे  तेरे नैना, रस  से  भरे  तेरे  बैना

छवि तेरी नाच रही है, कटती है नहीं रैना

 

कैसी लगन लगी है, उर  में  अगन  लगी  है

मिलन की चाहत मुझको, जैसे ठगन लगी है

 

स्नेह  भरी  मुलाकातें, प्रेम  पगी  वो  बातें

उमड़-घुमड़ वो  आतीं, यादों  की  बारातें

 

प्रेमी   पागल   होते, प्रेम  में  आपा  खोते

प्रेम हुआ तो जाना, छुप-छुप के क्यों रोते

 

बिरह  बड़ा  दुखदाई, सब  लागें  हरजाई

मन झुंझलाकर बोले, हाय क्यों प्रीत लगाई

 

पवन तिवारी

०६/०१/२०२१

 

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