यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

ये दुबकी दुबकी धूल है.

ये दुबकी दुबकी धूल है.

ये सहमा- सहमा फूल है

ये दूब शर्माती हुयी

चुभती हवा ज्यों शूल है

 

ये  शीत  का  संताप  है

सबका  ढला  परताप है

गर्मी बहुत  है  उछलती

पर जाड़ा सबका बाप है

 

गर्मी  सभी  की  चाह है

गद्दा- रजाई   राह    है

जाड़े से सब  बचते फिरें

पर पूस की क्या थाह है 

 

छूने  से   पानी   सब  डरें

और आग में दिखते हैं रब

शीत की महिमा है न्यारी

काँपते   रहते    हैं   लब 

 

पवन तिवारी

२६/१२/२०२०  

 

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