यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

चाहते हैं जिसे

चाहते हैं जिसे उसका मिलना न कम

वो मिला तो ख़तम सारे के सारे गम

तुम मिलो तो सही बात बन जायेगी

दिन तो बनना ही है रात बन जायेगी

 

बातों  बातों  में  ही  रात  कट  जायेगी

बातों से दुःख की बदली भी छँट जायेगी

प्रेम  औषधि  भी  है  प्रेम  पूजा  भी  है

प्रेम  जगदीश  का  नाम   दूजा  भी  है 

 

मैं समर्पित तुम्हें तुम  समर्पित हमें

दृष्टि  में  दोनों  एक  दूसरे के जमें

बात मेरी सही तुमको स्वीकार है

फिर तो जीतेंगे हम बैरी की हार  है

 

तो सुनों  नाम  मेरा  अधर  से कहो

तुम खुले तौर पर आओ मुझको गहो

मैं तुम्हें  चन्द्रमा  सा  रखूँ भाल पर

सबके सम्मुख स्वीकारूं मैं वरमाल पर

 

 

पवन तिवारी

१/०१/२०२१


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