चाहते
हैं जिसे उसका मिलना न कम
वो
मिला तो ख़तम सारे के सारे गम
तुम
मिलो तो सही बात बन जायेगी
दिन
तो बनना ही है रात बन जायेगी
बातों बातों
में ही रात
कट जायेगी
बातों
से दुःख की बदली भी छँट जायेगी
प्रेम औषधि
भी है प्रेम
पूजा भी है
प्रेम जगदीश
का नाम दूजा
भी है
मैं
समर्पित तुम्हें तुम समर्पित हमें
दृष्टि में
दोनों एक दूसरे के जमें
बात
मेरी सही तुमको स्वीकार है
फिर
तो जीतेंगे हम बैरी की हार है
तो
सुनों नाम मेरा अधर
से कहो
तुम
खुले तौर पर आओ मुझको गहो
मैं
तुम्हें चन्द्रमा सा रखूँ
भाल पर
सबके
सम्मुख स्वीकारूं मैं वरमाल पर
पवन
तिवारी
१/०१/२०२१
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