यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 15 फ़रवरी 2022

थी पहचान मोहब्बत में कई वर्ष लगा

थी  पहचान  मोहब्बत  में  कई  वर्ष लगा

और फिर धीरे-धीरे थोड़ा-थोड़ा फर्क लगा

 

सम्भल रहे थे नहीं उसके झूठ  उससे ही

तमाम तरह से देखा था उसने तर्क लगा

 

उदासी दोनों तरफ यदा कदा रहती थी

दोनों तरफ से ही अलग-अलग अर्थ लगा

 

बड़े दिन बाद यूँ ही छू लिया उसने उसको

रह गयी सन्न वो जब पूरी तरह बर्फ लगा

 

गुनाह अपने याद आये  और रोने  लगी

अपना आँसू ही लगा ठंडा,नहीं गर्म लगा 

 

बेवफ़ा थी वो मगर वो भी उससा निकला

पता चला जो उसे दिल में जैसे बर्क लगा

 

पवन तिवारी

१५/०१/२०२१  

 

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