थी पहचान मोहब्बत में
कई वर्ष लगा
और
फिर धीरे-धीरे थोड़ा-थोड़ा फर्क लगा
सम्भल
रहे थे नहीं उसके झूठ उससे ही
तमाम
तरह से देखा था उसने तर्क लगा
उदासी
दोनों तरफ यदा कदा रहती थी
दोनों
तरफ से ही अलग-अलग अर्थ लगा
बड़े
दिन बाद यूँ ही छू लिया उसने उसको
रह
गयी सन्न वो जब पूरी तरह बर्फ लगा
गुनाह
अपने याद आये और रोने लगी
अपना
आँसू ही लगा ठंडा,नहीं गर्म लगा
बेवफ़ा
थी वो मगर वो भी उससा निकला
पता
चला जो उसे दिल में जैसे बर्क लगा
पवन
तिवारी
१५/०१/२०२१
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