यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

बड़ा नसीब है जो सबकी दुआ पाता है

बड़ा नसीब है जो सबकी  दुआ  पाता है

दुआ पाने का हुनर सबको कहाँ आता है

 

मुझसे बोला नहीं जाता है झूठ वैसे भी

बोलता भी हूँ तो पकड़ में आ जाता है

 

वो जो होती है तो ध्यान भटकता ही है

बिगड़ ही जाता है फिर कहाँ स्वर में गाता है

 

ये बड़ी बात नहीं  चाहते उसको कितने

बात तो ये   है  कि  कौन  उसे भाता है  

 

किसी के दिल में झाँकना व उतर जाना भी

ये हौसला  तो  दीवानों  को फ़कत लाता है

 

किसी के दिल को चुरा करके तरसाना भी

पवन यूँ कौन  हसीनों  पे  जुल्म  ढाता है

 

पवन तिवारी

०४/०१/२०२०

 

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