बड़ा
नसीब है जो सबकी दुआ पाता है
दुआ
पाने का हुनर सबको कहाँ आता है
मुझसे
बोला नहीं जाता है झूठ वैसे भी
बोलता
भी हूँ तो पकड़ में आ जाता है
वो
जो होती है तो ध्यान भटकता ही है
बिगड़
ही जाता है फिर कहाँ स्वर में गाता है
ये
बड़ी बात नहीं चाहते उसको कितने
बात
तो ये है कि
कौन उसे भाता है
किसी
के दिल में झाँकना व उतर जाना भी
ये
हौसला तो
दीवानों को फ़कत लाता है
किसी
के दिल को चुरा करके तरसाना भी
पवन
यूँ कौन हसीनों पे
जुल्म ढाता है
पवन
तिवारी
०४/०१/२०२०
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