अब मैं जानता हूँ हो नहीं
तुम चीज कोई
रहो निश्चिन्त अब
तुमसे नहीं उम्मीद
कोई
सभी नैतिक हैं जब तक लूटने का ना मिले अवसर
मिला मौक़ा तो होंगे बेईमाँ सब नहीं शरीफ़ कोई
तुम्हें धोखा
मिला है कि फिर भी जीना चाहते तुम
सुनो शब्दों से मिलकर
गुनगुनाओ गीत कोई
सही जाती नहीं है प्यार के जख्मों
की पीड़ा
लगाओ कविता का मरहम
ग़ज़ल सा मीत कोई
अँधेरे से सदा
को चाहते तुम
मुक्त होना
सुनो मन से जलाओ ज्ञान का फिर दीप कोई
पवन तिवारी
२३/०१/२०२१
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