कि
उसकी याद ने
सब ज़ख्म हैं ताज़े किये
प्यार
में कैसे - कैसे उसने थे
वादे किये
कि
वो जिस प्यार का अक्सर ढिंढोरा पीटती
और
उस प्यार में हमने
हैं समझौते किये
हाथ था
दोस्त के हाथों में साथ मेरे थी
इसे
अब क्या कहोगे ऐसे भी किस्से किये
आजकल
प्यार एक जुमला होके रह गया है
कि
इसके नाम पर कितने ही दिल सौदे किये
प्यार का नाम सुनते ही फरेबों की है बू आती
कि इसके नाम से ही जुल्म वे सारे किये
फ़कत
इतनी तमन्ना है कि बस ये घाव भर जाये
कि
इक मासूम दिल के कितने ही
हिस्से किये
दर्द
इतना दिया कि जन्म कवि का हो गया
कि
कितनी बार कविता पाठ तक रोते किये
पवन
तिवारी
०५/०१/२०२१
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