यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

दिल टूटा है सुख रूठा है


दिल  टूटा है  सुख  रूठा है

हाँ, प्रेम  घड़ा  सच फूटा है

दुःख   पहुँचा  टूटे रस्ते

कैसे  कह  दूँ, कि  झूठा है

 

बरसों जीवन को सम्भाला था

तन्हा ही  खुद  को पाला था

अभी हाल में दिल को प्यार हुआ

परसों  टूटा  दिन  काला  था

 

दिल टूटा  नया - नया ही था

अनुभव भी  नया नया ही था

ऐसा  टूटा  कि   जुड़ा  नहीं

दुःख भी कुछ अलग नया ही था

 

फिर लगा कि जीवन बिखर गया

दिल रोया  था  सो  बिफ़र गया

फिर  नया  विचार  एक  आया

उसके  आते  ही निखर  गया

 

अब नकली दिल ले आया हूँ

उसे शल्य क्रिया से पाया हूँ

जो दिल तोड़ने  के आदी हैं

उनके  संग  खेलने आया हूँ

 

पवन तिवारी

०९/०९/२०२०    

 

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