जितनी अधिक पीर पाओगे
जितने अधिक छले
जाओगे
इन सबसे यदि सीख सके
तो
सही दिशा
में ही आओगे
लम्बा बहुत हुआ
संघर्ष है
दुःख में बीता
कई वर्ष है
डिगे नहीं हो फिर भी
पथ से
तो समझो फिर निकट
हर्ष है
बाधायें जीवन
की परीक्षा
सीख सको तो है
ये शिक्षा
इनका जो
उपयोग सही हो
पूरी होगी
सारी इच्छा
जग भर से मिल सकती
भिक्षा
उद्यम के लिए धैर्य
प्रतीक्षा
जो सौभाग्य
गुरु मिल पाये
फिर मिल पाये जीवन
दीक्षा
दीक्षित होकर जग
जाओगे
जीत सभी का मन पाओगे
खुद आयेगी समृद्धि
चलकर
आभा से जग में
छाओगे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
३/०९/२०२०
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