मैं चाहता हूँ
ज़िन्दगी
मेरे साथ बीते,
मुझसे बतियाते हुए ;
मेरा और अपना
सब कुछ साझा करते
हुए.
किन्तु वह कट रही है,
किसी और के साथ !
और मैं अकेले बीत
रहा हूँ.
यह अकेले बीतना ही
ज़िंदगी की त्रासदी
है.
और इससे बचते
हुए
बीतना सुखद ज़िंदगी.
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८