यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 3 मई 2020

सबका था अधिकार मुझ पर


सबका था अधिकार मुझ पर
मैं  तो  बस  कर्तव्य  था
खून मेरा पी करके तरल वे
सबके लिए  मैं  द्रव्य  था

बड़ा था सो कर्तव्य मेरा था
ना  उनका  कोई  कर्म था
स्वारथ सबसे बड़ा है रिश्ता
इतना  सा  बस  मर्म  था

इतना मर्म समझने में बस
उम्र  गयी  अच्छी  ख़ासी
चखने को तब चला जिंदगी
स्वाद  मिला बासी – बासी

बासी खा के भी चलना था
जीवन  की   मज़बूरी  थी
थोड़े – थोड़े गले  जा  रहे
ख़ुद से बढ़ रही  दूरी  थी

मुझसे मेरे मित्र सबका लो
अपने लिये  प्रथम  जीना
कहीं भरोसे किसी के रहना
अपने  कपड़े  खुद  सीना

करना पहला  प्रेम खुदी से
डरना तो  ख़ुद  से  डरना
अपनी शर्तों  पर जिए तो
होगा ख़ुशी - ख़ुशी  मरना


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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