यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 19 अप्रैल 2020

पीड़ा में सुख देती कविता


पीड़ा में  सुख  देती  कविता
अन्धकार  में  जैसे  सविता
समय के  परे  ले  जाती ये
जान ही  ले आगे की भविता

दर्द मेरा आक्रोश  में  सुलझा
हुआ तभी कविता का जलसा
जब – जब  भूखे पेट रहा मैं
तब छलका लेखन का कलसा

संघर्षों  में  ही   लिखता   हूँ
उसमें  मैं  खुद  दिखता   हूँ
मेरे दुःख का  औषधि  लेखन
थोड़ा  खुरदुरा  सा  दिखता हूँ

कविता जैसे  मृत्यु  को डसना
काल के गाल पे खुद को रचना
सबसे कठिन  शब्द से मिलना
जैसे   सुविधाओं   से  बचना

इसका  नाम   क्यों  अक्षर है
होता   नहीं    कभी   क्षर है
वेदों  ने   भी  गायी  महिमा
इसीलिये       प्रणवाक्षर   है



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com  
   

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