उसे लगता है कि सज़ा
दे रहा है
मगर आगे का रास्ता दे रहा है
खड़ी करके
दुश्वारियाँ राह में वो
तज़ुर्बे का इक क़ाफ़िला
दे रहा है
मज़म्मत करे मेरी क़ाबीलियत की
हुनर को मेरे
हौंसला दे रहा है
उसे क्या पता हों
खुशी के भी आँसू
मुझे मेरा रोना मज़ा दे
रहा है
उसकाना उसका भी अच्छा
लगा है
मेरे हौंसलों को हवा दे रहा है
किया उसको मज़बूर
छोड़े वो मुझको
समझता है वो
कि दगा दे रहा है
इन्साफ की लाश सड़ने को आयी
क़ातिल पवन फैसला दे
रहा है
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक –
poetpawan50@gmail.com
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