यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 18 जून 2019

पवन तिवारी के दोहे








आयी स्थिति ऐसी अब,प्रश्न बने जब जश्न
लोग हैं उत्तर दे रहे, प्रश्न का उत्तर प्रश्न

भूख  प्यास से  मर रहे, बच्चे रोज के रोज
पत्रकारों  की ख़बर  में, अभिनेता की खोज

लेकर  शपथ  भी  भूलते, कर्तव्यों का बोध
ऐसों पर हो चाहिए, अब निश्चित ही शोध

अपनों के ही काज में, लोग करें अवरोध
अपनों के भी दोष पर, होवे  खुला विरोध

कामचोर का  हो  रहा,  सबसे ज्यादा नाम
नाम दाम उनका नहीं, सच जो करते काम

राम नाम  लेकर जाने, कितने ही गये तर
लेकिन राम के प्रश्न का, मिलेऊ नहीं उत्तर

इस कलयुग में सम्भव है, सबका ही कुछ दाम
परे कि जो सब  दाम से, उनका नाम है राम 

नाम प्रशंसा  बिक रहे, आज किलो के भाव
अर्थ के आगे विवश हैं, कहें पवन सब ताव



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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