माँ का मिला आशीष तो
फिर ऐसा अंजाम हुआ
मिट्टी वाले धंधे
का सोने सा
दाम हुआ
चला झूम मैं तभी डगर में
काँटा एक चुभा
दर्द में लिपटा शब्द
जो निकला माँ का नाम हुआ
वर्षों बाद मिला
अम्मा से झुककर नमन किया
सर पर हाथ रखा तो
जैसे चारो धाम हुआ
था गरीब अम्मा का बेटा बस आशीष मिला
फलित हुआ आशीष देश
में नाम तमाम हुआ
जिसने भी माँ को
पूजा माँ का सम्मान किया
बुरे समय में
भी उसका बिगड़ा काम हुआ
जिसने भी है इस जग
में माँ का अपमान किया
कर्म भाग्य भी दुत्कारा उसे जग बदनाम हुआ
माँ की आज्ञा
का जो पालन करता रहा सदा
उसके हक़ में दुर्लभ से दुर्लभ परिणाम हुआ
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें