यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 2 जुलाई 2018

अन्नदाता










दिल कहे है किसानों की पीर लिख दूँ
सीने में उनके चुभे हुए तीर लिख दूँ
जो भी आया किसानों को छल के गया
कैसे झूठी मैं सुंदर तस्वीर लिख दूँ

उनको लूटा सभी ने मैं क्या-क्या लिखूँ
वे ही बेबस मरे और क्या-क्या लिखूँ
उनका मरना न पहली ख़बर बन सका
नेता,अभिनेता पहले मैं क्या-क्या लिखूँ

कहने को अन्नदाता वे कहलाते हैं
हम कृषकों का देश ही कहलाते हैं
वो कृषक ही यहाँ कर्ज से मर रहा
नाहक ही लोकतन्त्र हम कहलाते हैं

यदि किसानी लुटी हम भी लुट जायेंगे
वे रहे ना कुशल हम भी मिट जायेंगे
बिन किसानों के भारत की क्या कल्पना
हम तो अपनी जड़ों से ही कट जायेंगे

ये किसानी तो भारत का सौभाग्य है
इस पर ही टिका भारत भाग्य है
आओ मिलकर किसानों को सुखमय करें
ऐसा अवसर मिला ये अहोभाग्य है

पवन तिवारी
सम्पर्क – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com  

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