दिल कहे है किसानों की पीर लिख दूँ
सीने में उनके चुभे
हुए तीर लिख दूँ
जो भी आया किसानों
को छल के गया
कैसे झूठी मैं सुंदर
तस्वीर लिख दूँ
उनको लूटा सभी ने
मैं क्या-क्या लिखूँ
वे ही बेबस मरे और
क्या-क्या लिखूँ
उनका मरना न पहली
ख़बर बन सका
नेता,अभिनेता पहले
मैं क्या-क्या लिखूँ
कहने को अन्नदाता वे
कहलाते हैं
हम कृषकों का देश ही
कहलाते हैं
वो कृषक ही यहाँ कर्ज
से मर रहा
नाहक ही लोकतन्त्र
हम कहलाते हैं
यदि किसानी लुटी हम
भी लुट जायेंगे
वे रहे ना कुशल हम
भी मिट जायेंगे
बिन किसानों के भारत
की क्या कल्पना
हम तो अपनी जड़ों से
ही कट जायेंगे
ये किसानी तो भारत
का सौभाग्य है
इस पर ही टिका भारत
भाग्य है
आओ मिलकर किसानों को
सुखमय करें
ऐसा अवसर मिला ये
अहोभाग्य है
पवन तिवारी
सम्पर्क –
७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
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