“ मैं आवारा नहीं हूँ ”
हाँ,वक़्त की नज़र में आवारा हूँ
तभी तो दुनिया की नज़र में आवारा हूँ
क्योंकि दुनिया की अपनी नज़र नहीं
सब वक़्त के नज़रिये के मोहताज़
मैंने ये सच जान लिया
आप ने जाना की नहीं
मैं अब भी अपनी बात पर कायम हूँ
“ मैं आवारा नहीं हूँ ’’
आप उस दिन मानेंगे जिस दिन
मेरी ख़त्म हो जायेगी
वक़्त से अनबन पर
मुझे तब भी नहीं पड़ेगा फर्क
बस ! ख़ुद पर होगा गर्व
अपने सत्य पर ,अपने
आत्मविश्वास पर
हाँ तब कहूँगा, एक लम्बी
साँस लेकर
सीने को उभार और नथुनों को फुलाकर
मैं कहता था न
“ मैं आवारा नहीं हूँ ”
पवन तिवारी
सम्पर्क –
७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
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