पवन तिवारी को साहित्य अकादमी का जैनेन्द्र पुरस्कार
मुंबई,युवा
साहित्यकार पवन तिवारी को उनके चर्चित उपन्यास "अठन्नी वाले बाबूजी" के
लिए महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी का वर्ष 2016-1017 का जैनेन्द्र पुरस्कार दिया गया है। पवन तिवारी ने साहित्य की तमाम विधाओं
में काम किया। उनकी पहली पुस्तक ''चवन्नी का मेला'' भी काफी चर्चित रही जो कि एक कहानी संग्रह थी।12 वर्ष
की उम्र से कविता , कहानी आदि का लेखन, विद्यालयीन प्रतियोगिताओं में भाषण, गायन, अन्ताक्षरी, एकांकी आदि में प्रथम आने वाले पवन
तिवारी की पहली पुस्तक मात्र २३ वर्ष की आयु में प्रकाशित हुई थी. पवन तिवारी न
सिर्फ एक संवेदनशील लेखक हैं वरन एक प्रखर पत्रकार, वक्ता, शोध कर्ता, कई पत्र ,पत्रिकाओं का सम्पादन करता होने के साथ-साथ , फिल्म लेखन, कई पुस्तकों के सम्पादन सहित
आकाशवाणी पर महापंडित राहुल सांकृत्यायन पर विशेष वक्तव्य विशेष चर्चित रहा , देश के सबसे बड़े भजन संकलन भजन गंगा का अतिथि सम्पादन एवं इंडियन प्रेस
कौन्सिल की पहली स्मारिका का सम्पादन भी किया।12 वर्ष की उम्र में लेखन की शुरुआत करने
वाले पवन तिवारी का जन्म उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले के जहँगीरगंज ब्लॉक के
अलाउद्दीन पुर गांव में एक किसान परिवार में हुआ। पिता चिंतामणि तिवारी एवं माता
श्रीपत्ती तिवारी की 7 संतानों में 3रे नम्बर की संतान पवन तिवारी
बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। बचपन में ही रामचरित मानस का पाठ करने दूर- दूर
बुलाये जाते थे। गरीबी तथा माता की असाध्य बीमारी के
कारण 1998 में 16 वर्ष की आयु में पढ़ाई त्याग कर मुम्बई आना
पड़ा। तमाम संघर्षों से गुजरते हुए सफलता की अनेक इबारत लिखी। पवन तिवारी बेहद कम
आयु में ही सनातन चैनल में शोधकर्ता और रचनात्मक निर्देशक भी रहे। जहां उन्होंने
अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ी. मुम्बई आकाशवाणी पर अनेक
विषयों पर उनके व्याख्यान प्रसारित हुए। जिनमें इनके स्व रचित अवधी लोकगीत काफी
प्रसंशित हुए। चर्चित कहानी तेरे को मेरे को पर हिंदी फिल्म बन रही है। हिंदी भाषा
के उत्थान के लिए किए गए उनके प्रयास सराहनीय हैं।
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