यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 9 नवंबर 2017

हे कल्याणक जगत पालक




हे कल्याणक जगत पालक , दीनबंधु दयानिधी .
राष्ट्र के प्रति हों समर्पित, ज्ञान की दो वो विधी.

सत्य का संधान हो, सद आचरण का भान हो
करुणा रहे साथी सदा, उपकार का भी मान हो

तिमिर को हम भेद कर,आलोक के पथ पर बढ़ें
राष्ट्र  गौरव  से  भरे , प्रतिमान  कुछ  ऐसे  गढ़ें

निंदा , ईर्ष्या से बचें और प्रेम  का  संगम रचें
अवगुणों से दूर हों और ह्रदय में सद्गुण बसें

निष्कलंकित हो ये जीवन, मर के भी हम ना मरें
कर्म  ऐसे  करके  जाएँ ,  जयति जय जय जन करें


पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978


poetpawan50@gmail.com

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