हो परेशान मन हाथ भी तंग हो
ऐसे में क्रोध घर को
जला देता है
क्या गलत क्या सही
मायने कुछ नहीं
क्रोध अपनों को भी
झुलसा देता है
लाख विश्वास हो और
समर्पण भी हो
तंगहाली में सब कुछ
दगा देता है
प्रेम,पत्नी,गृहस्ती
के सब आवरण
तंगहाली का शस्त्र
हटा देता है
वक़्त हो गर बुरा ज़ेब
भी हल्की हो
रिश्तों की परिभाषा
ढहा देता है
सारे विश्वासों का
वक़्त है आइना
अडिग विश्वासों को
भी डिगा देता है
आइना तो कभी झूठ
बोले नहीं
टूट कर भी ‘पवन’ सच बता
देता है
पवन तिवारी
सम्पर्क –
७७१८०८०९७८
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