यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

तोंहसे मिलै के खातिर रहली बेकरार सजनी

तोंहसे मिलै के खातिर रहली बेकरार सजनी.
पइसा मेला लइके अइली हम उधार सजनी.

हम्मै तोहसे करैके रहल प्यार सजनी.
तब्बै तोंहसे मिले अइली नद्दी पार सजनी.

तोंहसे प्यार हवै तोंहपे हवै गुमान सजनी.
तोहरे खातिर सबके ठोकीला सलाम सजनी.

वैइसै हमरो बाटै बहुतै सम्मान सजनी.
पर प्यार पे अपने हौउवै सब कुर्बान सजनी.

तोहरे बिना बाटै जिनगी बेकार सजनी.
तोंहैं पाइब बनि जाई घर संसार सजनी.  
poetpawan50@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें