यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

लोग कहते हैं कि मैं छोटा हूँ.





लोग कहते हैं कि मैं छोटा हूँ.
सफ़र लम्बा मैं कर नहीं सकता.
पर ‘मैं साहस हूँ’ मंजिल से पहले.
कदम मेरा भी रूक नहीं सकता .

दोस्ती का इनाम लाया हूँ.
हर फ़िगार का हल मैं लाया हूँ.
तेरी मुश्किल का हल तुझी में है.
एक दर्पण मैं साथ लाया हूँ.

दोस्त हूँ चुप भी रह नहीं सकता.
सच कहे बिन भी रह नहीं सकता.
तू रूठ जाए, दुश्मन हो जाए.
तुझको बर्बाद कर नहीं सकता. 
poetpawan50@gmail.com

सम्पर्क - 7718080978

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