तूँ मुझे चाहे, मैं तुझे चाहूं .
तूं है मेरी सनम , इक दूजे के हम.
तुझपे मेरा, मुझपे तेरा यकीं.
फिर जग चाहे कुछ भी बोले ,
अपनी करेंगें हम,इक दूजे के हम .
न कुछ जमाने को दिखाना,न बताना.
अपने ही ढंग से जिन्दगी बिताना .
‘तुम’ ‘मैं’ मिलकर हम,इक दूजे के हम.
प्यार किया बस प्यार निभाना.
प्यार करते – करते दुनियां से गुजर जाना
प्यार है फिर क्या गम ?, इक दूजे के हम .
पवन तिवारी
पवन तिवारी
Sandar prastuti.
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता
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