हरियाणा के अलग - अलग स्थानों की तसवीरें अलग - अलग संचार माध्यमों से प्रसारित होकर आम भ्रारतीय तक पहुँच रही हैं. उसे देखकर संवेदनशील लोगों का कलेजा मुंह को आ जा रहा है . कुछ लोग क्रोध , कुछ क्षोभ, कुछ करुणा और कुछ बेबसी के भाव पीड़ित हो रहे हैं कईयों की आखें नम हो गई पीड़ितों की मर्मान्तक खबरें पढ़कर, देखकर , किसी के सामने उसके घर में आग लगा दी गयी. विरोध करने पर उसे उसी जलते घर में फेकं दिया गया. किसी की आखों के सामने उसकी बहन को घसीटा , गया, किसी के ढ़ाबे को उसकी आखों के सामने खंडहर बना दिया गया और वह अपना बर्बाद होते हुए ढ़ाबे को देखकर बेहोश हो गया. किसी के बेटे को जलती आग में झोंक दिया गया.कहीं बसों से महिलाओं को उतारकर ढ़ाबो और खेतों में लेजाकर बलात्कार किया गया. पुलिस तमाश बीन रही, किसी की मिठाई की दूकान उसकी आखों और एसपीके कोठी के सामने होते हुए भी फूंक दी गयी और एसपी का दरबान जलती दुकान देखकर अंदर चला गया. जिन्होंने सीरिया की अराजकता नहीं देखी वे हरियाणा की मनुष्यता को शर्मशार करने वाली अराजकता को देखकर महसूस कर सकते हैं.
जाटों ने अपने ही घर की इज्जत लूट ली .
पढ़िए कुछ मर्मान्तक हरियाणवी दास्तान
सोनीपत के मुरथल के पास नेशनल हाईवे-1 सोमवार को लगे जाम के दौरान महिलाओं के साथ गैंगरेप की घटना चर्चा में है। सोमवार तड़के कुछ गाड़ियों को रोका गया। उनमें सवार महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। चश्मदीदों के मुताबिक 10 महिलाओं का यौन शोषण कर उन्हें खेतों में छोड़ दिया गया। इससे भी खौफनाक यह कि जिला प्रशासन ने यहां भी पीड़ितों और उनके परिवारों को ‘अपने सम्मान की खातिर’ रिपोर्ट दर्ज न कराने को कहा।
बीते सोमवार तड़के 30 से अधिक बदमाशों ने एनसीआर की तरफ जाने वालों को रोका, उनके वाहनों को आग लगाई। कई लोग जान बचाकर भागे, लेकिन कुछ महिलाएं नहीं भाग पाईं। उनके कपड़े फाड़ दिए गये और उनके साथ बलात्कार किया गया। इस खौफनाक वारदात की पीड़ित महिलाएं तब तक खेतों में पड़ी रहीं जब तक कि उनके पुरुष रिश्तेदार और गांव हसनपुर और कुराड के लोग कपड़े और कंबल लेकर नहीं आ गए।
नाम उजागर न करने की शर्त पर एक चश्मदीद ने बताया-’तीन महिलाओं को अमरीक सुखदेव ढाबे पर ले जाया गया, जहां वे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में अपने परिजनों से मिलीं। जिला प्रशासन के अधिकारी भी आ वहां गए, लेकिन मामले की जांच या पीड़ितों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के बजाय परिजनों पर महिलाओं को घर ले जाने का दबाव बनाया गया। कई को वाहन भी उपलब्ध कराए गए।’
9 दिन में 28 लोगों की मौत
वहीं हिसार में प्रेस कॉन्फ्रेंस में डीजीपी यशपाल सिंघल ने बताया कि जाट आरक्षण में भड़की हिंसा की आग में 9 दिनों में 28 लोगों की मौत हुई। उन्होंने बताया कि इस दौरान पुलिस ने 535 उपद्रवियों पर मामले दर्ज किए हैं। वहीं 127 को गिरफ्तार भी किया है। उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले प्रशासन 19 मौतों की पुष्टि कर रहा था।
अब कैथल की कहानी सुनिए वहां के एक दुकानदार की ज़ुबानी
मेरी दुकान एसपी की कोठी के ठीक सामने है। हर वक्त यहां पीसीआर खड़ी रहती है। मैं रविवार सुबह दस बजे दुकान के काउंटर पर खड़ा था। दो बदमाश हाथों में कुल्हाड़ी लिए मोटरसाइकिल पर आए। चेताया-दुकान बंद नहीं की जला देंगे। धमकियां 18 फरवरी से ही मिल रही थी। तुरंत दुकान को बंद कर मालिक सभी कारिंदे घर भेज दिए गए। पुलिस को इसकी शिकायत कर दी। पूरे शहर को पता था कि सैनी समोसे वाले की दुकान टारगेट पर है।
रविवार रात को करीब सवा 11 बजे पीसीआर वहां से हट गई। साढ़े 11 बजे करीब 30 युवाओं की टोली पहुंच गई। शटर तोड़कर पहले मिठाई लूटी। जमकर तोड़फोड़ की और दुकान को आग के हवाले कर दिया। बदमाशों की आवाज सुनकर आसपास शहर के करीब 100 लोग एकत्रित हो गए थे। एसपी की कोठी के सामने जो संतरी था, उसने बाहर झांका तक नहीं। पुलिस कंट्रोल रूम पर फोन किया। लेकिन आधा घंटा तक कोई नहीं आया। ऐसा नंगा नाच जिंदगी में पहली बार देखा है। मेरा परिवार किसी राजनीति पार्टी से नहीं जुड़ा है। न ही किसी से हमारी दुश्मनी है। मेरे परिवार का कोई भी सदस्य किसी धरने प्रदर्शन में शामिल नहीं हुआ। इसके बावजूद भी हमें टारगेट बनाया गया। तीस साल की मेहनत से कारोबार जमाया था, पल में ही बर्बाद कर दिया।
उपरोक्त दुखद कथा दुर्गामिष्ठान भंडार के संचालक बाबूराम सैनी की आत्मकथा
पुलिस ने एक सुनी, 10 मिनट बाद दुकान लुटी
अब कोकरनाल रोड की कहानी
शनिवार कोकरनाल रोड पर बैठे आंदोलनकारियों ने मुझे दुकान जलाने की धमकी दी। मैं दोपहर को दुकान बंद कर सीधा पुलिस थाना पहुंचा। पुलिस कर्मचारियों ने कहा कुछ नहीं होगा घर जाओ। लेकिन मैं डरा हुआ था। रात होने तक मैं दुकान के आसपास ही रहा। रात को घर चला गया, लेकिन नींद नहीं आई। मेरा घर दुकान से थोड़ी दूरी पर नया बस अड्डा के पीछे है। रात को मैं चार बार दुकान को देखने के लिए आया। सबकुछ ठीक था। सुबह हुई मैं दुकान के सामने सड़क पार झाड़ियों में बैठ गया। पास में ही करनाल रोड पर कुछ दुकानों में आग लगा दी। मैंने तुरंत कंट्रोल रूम में फोन किया। फोन पर जबाव मिला-एसएचओ को फोन करो। हनुमान वाटिका के सामने फोर्स खड़ी थी। उनके सामने गिड़गिड़ाया। मेरी दुकान को बचाओ , इसे भी जलाएंगे। लेकिन मेरी बात किसी ने नहीं सुनी।
मैं वापस जाकर झाड़ियों में छुप गया और ठीक दस मिनट बाद मेरी दुकान को तहस-नहस कर दिया गया। मेरी आंखों के सामने ही मेरी बीस साल की मेहनत पांच मिनट में बर्बाद हो गई। मैं पास जाता तो भीड़ मुझे भी निशाना बना सकती थी। इसीलिए मैं दुकान पर नहीं गया। अगले महीने लड़की की शादी है, शहर से सामान लाने के लिए तीन लाख रुपए भी आनन-फानन में दुकान में रह गए।
उपरोक्त दुखद कथा कहानी झाड़ियों में छुपकर जान बचाने वाले मिष्ठान भंडार संचालक हरिकेश की जुबानी
अब सोनीपत की कहानी
हरियाणा में मन्नत ग्रुप के चेयरमैन देवेंद्र कादियान ने आंदोलन के दौरान हुए उपद्रव को बयान किया। उन्होंने कहा कि तीन दिन में जो कुछ हमने यहां देखा, वह इंसानियत की हत्या के अलावा कुछ नहीं कही जा सकती। महिलाओं के साथ जो लूट हुई वह आंदोलन नहीं था। मैंने अपनी आंखों से सीरिया जैसा मंजर देखा है। अब कोई नहीं रुक रहा ढाबों पर...
- जिन लोगों के साथ यह घटना हुई, या जो लोग इस आंदोलन के दौरान फंसे रहे। जिनके वाहन जलाए गए, वे शायद ही अब दोबारा यहां आएं।
- इस विश्वास को बहाल करना आसान नहीं। आज ढाबों पर कोई नहीं रुक रहा है।
ट्रक चालक बोले-जम्मू में कर्फ्यू तो लगते हैं लेकिन पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान नहीं पहुंचाते
- पानीपत के टोल प्लाजा पर कई ट्रक खड़े थे। शीशे टूटे कई ट्रक दिल्ली से पानीपत की ओर आ रहे थे।
- जम्मू-कश्मीर निवासी तौसीब, इशफाक, खुर्शीद से पूछा तो जवाब मिला, साहब जी सेब से लोड 8 ट्रकों में से दो उपद्रवियों ने जला दिए।
- हम पानीपत लौट रहे हैं। सब्जी मंडी में पहुंचे तो बताया श्रीनगर में आए दिन ऐसे कर्फ्यू लगते हैं।
- पब्लिक प्रापर्टी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। सारा सेब बर्बाद हो गया है।
- अम्बाला से दिल्ली तक सेबों से भरा 1000 ट्रक फंसा है। 24 घंटे में पहुंचाना होता है, लेकिन 7 दिन बीत गए हैं। अब कुछ नहीं बचा।
आइये अब पानी पत की दारुण कथापढ़ते हैं
हैपानीपत हरियाणा में चल रहे जाट आंदोलन के हिंसक रूप की वजह से लोग खौफ में जी रहे हैं।यहां ना महिलाएं सुरक्षित हैं और ना ही बच्चे। आरक्षण की आग में सैकड़ों लोगों के अरमान जल गए हैं। दुकानें लूट ली गईं, कई बेघर हो चुके हैं। जानिए क्या सुनाई लोगों ने आपबीती...
दुकान के साथ जल गए अरमान
- आरक्षण के नाम पर उपद्रवियों ने पहले दुकानों को लूटा और उसके बाद आग के हवाले कर दिया।
- पूर्व सीएम हुड्डा के आवास के पास डी-पार्क के सामने अरोड़ा फैशन शॉप में भी उपद्रवियों ने लूट के बाद आग लगा दी थी।
- शॉप संचालिका अनीता अरोड़ा सोमवार को जब वहां पहुंची तो हालात देखकर फूट-फूटकर रोने लगी।
- रोते हुए उन्होंने बताया कि पाई-पाई जमाकर दुकान को खड़ा किया था।
- लेकिन आरक्षण की आग ने सभी अरमानों को खाक कर दिया।
दो दिन तक रुकी रही बरात
- कालवा गांव के कमल ने बताया कि उसके घर तीन बेटियों का सामूहिक विवाह कराया गया।
- इसके लिए 19 फरवरी शुक्रवार को बरात गन्नौर से आई।
- दोपहर में बरात पहुंची और खान-पान के बाद शादी पूरी हो गई।
- शाम को पता चला कि जाट आंदोलनकारियों ने सभी रास्तों पर पेड़ काटकर उन्हें ब्लॉक कर दिया है।
- बरातियों की सुरक्षा को देखते हुए लड़की वालों ने बरातियों को भेजना खतरे से खाली नहीं समझा।
- 2 दिन तक बरात चौपाल में ही ठहरी रही और उनके खाने-पीने व सोने का सारा प्रबंध कर दिया।
- रविवार दोपहर को लड़की के परिजनों ने बरात को खाना खिलाकर विदा किया।
60 बाइकों का इंतजाम...
- कमल ने बताया कि बरात को तीसरे दिन रविवार को वापस पहुंचाने के लिए गांव से करीब 60 बाइकें बुलाई।
- प्रत्येक बाइक वाले को एक चक्कर छोड़ने पर दो सौ रुपए किराए के रूप में दिए।
- जबकि रात को दूल्हे- दुल्हनों को एक कार के जरिए गांवों व खेतों के रास्ते पहुंचाया गया।
- कमल ने बताया कि जब बरात पहुंच गई तब उन्होंने राहत की सांस ली है।
पथराव में घायल महिला और बच्चे...
- फरीदाबाद में तोड़फोड़, लाठीचार्ज और पथराव में महिला व बच्चों समेत 20 लोग जख्मी हो गए।
- जगह-जगह जाम और पथराव की घटनाएं दिनभर होती रहीं।
- आंदोलनकारियों ने नेशनल हाईवे-2 (दिल्ली-आगरा) और रेलवे ट्रैक पर कब्जा जमा लिया।
- आंदोलनकारियों ने 2 जगहों पर रेलवे ट्रैक पर कब्जा कर लिया।
दिल्ली-आगरा-मुंबई रूट टूटा...
- दिल्ली-आगरा रेलमार्ग सुबह से शाम तक पूरी तरह बाधित रहा।
- दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर चलने वाली करीब 400 ट्रेनें और मालगाड़ी यहां-वहां फंसी रहीं।
- जाम लगाने वाले उपद्रवियों ने प्राइवेट गाड़ियों में तोड़-फोड़ भी की और पुलिसबल पर पथराव किया।
- दोनों जगह पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
- देर शाम विरोध करने वाले लोग रेलवे ट्रैक से हट तो गए, लेकिन रेलवे सुचारू नहीं हो पाया था।
दोलन के नाम पर लूट:कहीं घर पहुंचने की जल्दी तो कहीं भीड़ के आगे बेबस मां
राई गांव की रीतू बेटे का इलाज कराना चाहती थी पर आंदोलन के कारण दवा नहीं दिला पाई।
राई गांव की रीतू बेटे का इलाज कराना चाहती थी पर आंदोलन के कारण दवा नहीं दिला पाई।
अब हिसार कथा
लोगों को इलाज के लिए दवा तक लेने में परेशान होना पड़ा। मां की बेबसी, चाहकर भी नहीं दिला सकी बेटे को दवा...
राई गांव की रीतू त्यागी, शनिवार को बेटे यशवंत का इलाज कराने को दिल्ली के लिए निकली।
जैसे-तैसे कर वह कुमाशपुर तो पहुंच गई। लेकिन जाम लगाकर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने उसे आगे नहीं जाने दिया ।
भीड़ के आगे बेबस मां अपने बच्चे का इलाज भी नहीं करा पाई।
आंदोलन के नाम पर लूटपाट
रोहतक के बाद झज्जर-बहादुरगढ़, सोनीपत, गोहाना में भी आंदोलन के नाम पर भीड़ द्वारा जमकर लूटपाट की खबरें हैं।
सोनीपत में हल्दीराम रेस्टोरेंट को लूटा। सिरसा में उपद्रवी एटीएम उखाड़ ले गए, जिसमें साढ़े चार लाख रुपए की नकदी भरी थी।
रोहतक में नारायणा कॉम्पलेक्स में लैपटॉप की दो दुकानों से मोबाइल व लैपटॉप लूटे गए।
झज्जर में तो वीटा का मिल्क बूथ भी नहीं छोड़ा।
शुक्रवार रात को कर्फ्यू लगने के बाद लूटपाट की घटनाएं ज्यादा हुईं।
लूटपाट करने वालों में युवाओं की टोलियां शामिल थीं। पहले शोरूमों के शटर तोड़कर लूटपाट की गई, फिर आग के हवाले कर दिया।
अब सिवाह कथा
सिवाह में एनएच जाम के दौरान सभी वाहनों को टोल प्लाजा पर ही रोक दिया गया। हाईवे पर टोल से होकर 42 हजार के करीब वाहन हर दिन निकलते हैं। शहर के अंदर 80 हजार से अधिक वाहन सड़कों से गुजरते हैं। इन्हें वापस चंडीगढ़ या दिल्ली की तरफ ही लौटना पड़ा।
अब झज्जर की कथा
रियाणा में जाटो को आरक्षण देने की घोषणा के बाद हालात सामान्य होने लगे हैं। लेकिन अब सामने आ रहा है बर्बादी का वो मंजर, जिसे आंदोलन ने अपने पीछे छोड़ दिया। मंगलवार को कोई सीएम से गुहार लगाता दिखा तो कोई करोड़ों के कारोबार को राख में मिला देख रोता नजर आया। बर्बादी की दास्तान बयां करते लोग...
रमेश बिरला और ओमप्रकाश बिरला। दोनों भाई 35 साल पहले चाय की छोटी से दुकान बस स्टैंड के ठीक सामने चलाते थे।
एक भाई चाय बनाता था और दूसरा ग्राहकों को चाय परोसता।
चाय बनाकर अपने परिवार का गुजारा करने की जिम्मेदारी में ये दोनों भाई मिडल स्कूल तक भी नहीं पढ़ सके।
इनकी मेहनत रंग लाई और जिस जगह ये चाय की दुकान 300 रुपए किराए से चलाते थे वो 15 साल पहले एक-एक पाई जोड़कर ढाई लाख में खरीद ली।
दुकान खरीदने के बाद एक भाई गारमेंट्स तो एक ने शूज की दुकान खोली। कुछ ही वक्त में उनकी मेहनत रंग लाई और वे शहर के प्रमुख कारोबारियों में शुमार किए जाने लगे।
आरक्षण में सबकुछ बर्बाद
जाट आरक्षण की आग में दोनों भाई करोड़पति से खाकपति हो गए हैं।
रमेश की रेडीमेड गारमेंट्स का शोरूम और साथ ही ओमप्रकाश का शूज शॉप भी आग की भेंट चढ़ गया।
पल भर में इनका शोरूम जलकर राख हो गए। रमेश का कहना है कि इतना आतंक उन्होंने कभी फिल्मों में नहीं देखा,जितना खुद महसूस किया है।
अब दोनों भाइयों के परिवार में मातम जैसा माहौल है।
उपरोक्त कहानियाँ भास्कर,पत्रिका जैसे अखबारों व अन्य जनसंचार माध्यमो की सुचना पर आधारित