तुम्हारे
ह्रदय का पता चाहता हूँ
करना
मैं ऐसी खता चाहता हूँ
इस मन का सम्मान करने का मन है
करना
मैं इसको अदा चाहता हूँ
चाहूँ
सियाराम संवाद जैसा
राधा
किसन के अपवाद जैसा
मीरा
व रसखान दुर्लभ हैं लेकिन
वैसा
ही या उसके अनुवाद जैसा
अभिलाषा
ये अभिलाषा रहेगी
आशा
मेरी मात्र आशा रहेगी
सहमति
तुम्हारी न जब तक मिलेगी
निर्जीव
सी हिय की भाषा रहेगी
तुम्हारी
सभी बात स्वीकार होगी
जीवन
में कुछ मृदु कुछ खार होगी
जीत
का विचार तुच्छ यदि आ गया तो
निश्चित
ही तब प्रेम की हार होगी
तुम्हें
पाने की लालसा पालता हूँ
अलग
बात है बात ये टालता हूँ
निजी
बात है प्रेम में खुद को रखना
ये
दायित्व अब तुम पर डालता हूँ
पवन
तिवारी
०३/०४/२०२१
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