यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 16 अप्रैल 2022

तुम्हारे ह्रदय का पता चाहता हूँ

तुम्हारे ह्रदय का पता चाहता हूँ

करना मैं ऐसी खता चाहता हूँ

इस मन का सम्मान करने का मन है

करना मैं इसको अदा चाहता हूँ

 

चाहूँ सियाराम संवाद जैसा

राधा किसन के अपवाद जैसा

मीरा व रसखान दुर्लभ हैं लेकिन

वैसा ही या उसके अनुवाद जैसा

 

अभिलाषा ये अभिलाषा रहेगी

आशा मेरी मात्र आशा रहेगी

सहमति तुम्हारी न जब तक मिलेगी

निर्जीव सी हिय की भाषा रहेगी

 

तुम्हारी सभी बात स्वीकार होगी

जीवन में कुछ मृदु कुछ खार होगी

जीत का विचार तुच्छ यदि आ गया तो

निश्चित ही तब प्रेम की हार होगी

 

तुम्हें पाने की लालसा पालता हूँ

अलग बात है बात ये टालता हूँ

निजी बात है प्रेम में खुद को रखना

ये दायित्व अब तुम पर डालता हूँ

 

पवन तिवारी

०३/०४/२०२१  

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