कौन
कहता है इसे गाँव का रहने वाला
कहाँ
मिले है ऐसा शहर में कहने वाला
गाँव
की शहर हो हरदम ही जरूरत रहती
ज्यादती
इसकी और कौन है सहने वाला
शहर
को जल्दी है क़द अपना ऊँचा करने की
मगर
अब गाँव भी जल्दी नहीं ढहने वाला
शहर
की चिकनी-चुपड़ी वो भी समझने है लगा
भोली
बातों में नहीं गाँव अब बहाने वाला
धोती
कुर्ते में गँवारू लगें सो ठीक पवन
किसान
क्या करेगा आदमी गहने वाला
पवन
तिवारी
१४/०१/२०२१
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