यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 15 फ़रवरी 2022

कौन कहता है इसे

कौन कहता है इसे गाँव का रहने वाला

कहाँ मिले है ऐसा शहर में कहने वाला

 

गाँव की शहर हो हरदम ही जरूरत रहती

ज्यादती इसकी और कौन है सहने वाला

 

शहर को जल्दी है क़द अपना ऊँचा करने की

मगर अब गाँव भी जल्दी नहीं ढहने वाला

 

शहर की चिकनी-चुपड़ी वो भी समझने है लगा

भोली बातों  में  नहीं गाँव अब बहाने वाला

 

धोती कुर्ते में गँवारू लगें सो ठीक पवन

किसान क्या करेगा आदमी गहने वाला

 

पवन तिवारी

१४/०१/२०२१  

 

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