कैसे कहूँ कि दिल को
आराम न आता
इस दर्द में तेरे सिवा कोई काम न आता
तुझको पता उदासियाँ
क्यों छाती हैं मुझ पर
हम चाहतें जिसे हैं वो श्याम न आता
ये दिल की बेक़रारी
बेचैनियाँ रह – रह
सारा क़ुसूर तेरा
जो पै गाम न आता
इस जुबाँ को
तेरी ऐसी
लगी है लत
तेरे सिवा होंठों पे कोई
नाम न आता
तुझको मैं भूल जाऊँ कोई और देख लूँ
तेरे वज़न का प्यार
में कोई दाम न आता
तुझ तक पहुँच के रूह
से मिलना तेरी पवन
इस रास्ते में तुझसा कोई धाम न आता
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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