यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 27 मार्च 2020

कैसे कहूँ कि दिल को


कैसे कहूँ कि  दिल  को आराम   आता
इस दर्द में  तेरे सिवा  कोई काम न आता

तुझको पता उदासियाँ क्यों छाती हैं मुझ पर
हम  चाहतें  जिसे  हैं  वो  श्याम न आता

ये दिल  की  बेक़रारी  बेचैनियाँ  रह – रह
सारा  क़ुसूर  तेरा  जो पै गाम   आता  

इस  जुबाँ  को   तेरी  ऐसी  लगी है लत
तेरे  सिवा होंठों  पे  कोई नाम  न आता

तुझको मैं भूल  जाऊँ  कोई और  देख लूँ
तेरे वज़न का प्यार में कोई दाम न आता

तुझ तक पहुँच के रूह से मिलना तेरी पवन
इस रास्ते  में  तुझसा  कोई धाम न आता



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८   

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