प्यार पहला था सहमा मुकरना पड़ा
फिर तेरे प्रेम में मैंने क्या-क्या
सुना
माँ- बहन - बाप
से भी झगड़ना पड़ा
जब अकेले में खुद से मिला खुद ही मैं
अनगिनत बार खुद से ही लड़ना पड़ा
यूँ जवानी - जवानी
पे भारी
पड़ी
जोश को होश को फिर रगड़ना पड़ा
मैंने सोचा था बहकूँगा ना जोश में
बाहों में आ गयी सो बहकना पड़ा
मैं फिसलना नहीं चाहता था मगर
थी बेकाबू
जवानी फिसलना पड़ा
इस कदर प्रेम में मैं दीवाना हुआ
जीते जी भी कई बार मरना पड़ा
तूँ मुझे छोड़ करके चली जब गयी
प्यार
में तेरे झूठे सँवरना
पड़ा
दोस्तों ने
तेरा जिक्र छेड़ा जो तो
यूँ चहकने का नाटक भी करना पड़ा
पवन तिवारी
सम्पर्क –
७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
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